Sunday, March 19, 2017

बाप बेटी का लगातार चुदाई - Part 2

"पापा मेरी चूत मैं बहुत खारिश हो रही हे ... उफ़ मर जाऊंगी ... पापा बहुत खुजली हो रही हे ..."


पापा ने जुब यह सुना तो मुहज़े अपने ऊपेर से उतार कर बेड पेर चित लिटा दिया, और मेरी टाँगों के बीच मैं घुटनो के बल बैठ कर बोले"


"जानू, अब पापा अपनी बेटी के साथ वो करने जा रहे हैं जो पापा तुम्हारी मम्मी के साथ करते थे. तय्यार हो तुम, शहला?"


"पापा क्या अब आप चोदन्गे मुझे? पापा बहुत मोटा और सख़्त लंड है आप का, और लंबा भी बहुत हे. इतना मोटा लंड कैसे मेरी चूत मैं जाएगा, पापा?"


"मैं ने अपनी बेटी की चूत चाट चाट कर इतनी चिकनी कर दी हे अब इस्मे हाथी का लंड भी चला जाएगा. डरो मूत शहला, मैं पहले सिर्फ़ अपने लंड के टोपी चूत मैं डालूँगा. फिर आहिस्ता आहिस्ता चोद्ते हुए पूरा लंड डालूं गा."


यह कहते हुए पापा ने मेरी दोनो टांगे उठा कर अपने कांधों पर रखीं, और मेरी गोल गोल गांद के नीचे पिल्लो रख दिया, जिस से मेरी गांद और चूत बिल्कुल ऊपेर उठ गई. पापा मेरे उपर आ गए और मेरी दोनो टिट्स को पकड़ते हुए कहा: "शहला .. पहली दफ़ा तुम मुझ से चुदवा रही हो.. अच्छा हे के बेटी अपने बाप का लंड खुद अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चूत के छेद से लगाए."


मैं और पापा फुल मस्ती मैं थे. मैं ने राइट हॅंड से पापा का तना हुआ लंड जो मेरे चूसने की वजह से चिकना हो रहा था, पकड़ कर उसकी टोपी को अपनी चूत के मुँह से लगाया.


पापा ने होले से अपने लंड को मेरी चूत मैं पुश किया, और इसके साथ ही मेरी चूत के छेद मैं पापा के लंड की टोपी फँस गई.


"मज़ा आया शहला?" पापा ने कहा


मेरी नज़रे पापा की नज़रों से मिली, और मैं शरम से आँखे बूँद करली. पापा ने बे इकतियार हो कर, मेरे गालों, मेरे होंठो और मेरी टिट्स को प्यार करना शुरू कर दिया.


अब जब के पापा का लंड अपनी बेटी की चूत मैं जा चुका था, तो मुझे शरम आ रही थी के आज मैं अपने ही सगे बाप से चुदवा रही हूँ.


"जानू, और लंड डालूं अंदर?"


मैं ने शरम से कुत्छ ना बोल पाई. पापा ने फिर कहा: "जानू, शर्मा क्यूँ रही हो अपने पापा से. अब तो पापा का लंड जा चुका हे तुम्हारी चिकनी चूत मैं. बोलो और डालूं अंदर; जानू मैं पूरी तरह लंड तुम्हारी चूत मैं डाल कर चोदना चाहता हूँ. वही सही चुदाई होती है".


मैं फिर भी कुत्छ ना बोली और सिर्फ़ मेरे मुँह से आहिस्ता से "हूँ" निकल सका.


पापा जैसे हे मेरी "हूँ" सुनी, और उन्हों ने एक हे झटके से अपना पूरा सख़्त और लंबा लंड मेरी चूत मैं डाल दिया. मेरी चूत चिकना चिकना पानी छोड़ रही थी, मगर फिर भी पहली दफ़ा तकलीफ़ की वजह से मेरी चीख निकल गई.


"मर गई पापा. दर्द हो रहा मेरी चूत मैं बहुत ज़ोर का. मेरी चूत फॅट गई पापा. उफ़ .... मर गई ..."


पापा ने मेरी टांगे अपने कांधो से उतार कर मेरे जिस्म को अपने जिस्म से सटा लिया. मेरी टांगे खुली हुई थी औरइस दर्मयान पापा का लंड पूरा का पूरा मेरी छोटी सी चूत मैं घुसा हुआ था. मेरी चीख सुन कर पापा ने मुझे प्यार करते हुए कहा: "जानू, पहली पहली बार दर्द होता है, 2 मिनिट मैं यह दर्द ख़तम हो जाए गा, और फिर मज़ा आने लगे गा. वैसे भी तुम्हारी चूत इस क़दर टाइट हे के रब्बर बॅंड की तरह मेरे लंड को जकड़ा हुआ है".


हम दोनो बाप बेटी कुत्छ देर तक उन्ही लिपटे रहे. इस दोरान पापा मुझे किस करते रहे. मेरी आँखों मैं तकलीफ़ की वजह से आँसू आ गए थे. पापा के प्यार करने से मैं ठीक होने लगी और मैं ने भी पापा के होंठो पेर प्यार करना शुरू किया. किस करते हुए पापा ने अपनी ज़बान मेरे मुँह मैं डाल दी, और मैं पापा की ज़बान को चूसने लगी. पापा की ज़बान से मुझे अपनी चूत का टेस्ट आ रहा था. मैं बहुत ज़्यादा गरम हो गई. उत्तेजना से मेरा बुरा हाल होने लगा. पापा ने फिर मेरे बूब्स को चूसना शुरू किया, और मैं बुरी तरह मचलने लगी.


दर्द अब बिल्कुल ख़तम हो गया था और उसकी जगह वाक़ई अब मुझे इतना मज़ा आ रहा था के मैं बता नहीं सकती. मैं सोच रही थी के मम्मी भी इसी तरह पापा से चुदवाते हुए मज़ा लेती होंगी.


जुब मज़ा मेरी बर्दाश्त से बाहर हो गया, और पापा उन्ही मेरे ऊपेर पड़े हुए थे, तो मुझ से रहा ना गया: "पापा, कुत्छ करो ना .... मेरी चूत मैं आग लगी हुई है ...."


इस के साथ ही मैं ने नीचे से पापा को ऊपेर की तरफ पुश किया. पापा अपनी बेटी का इशारा समझ गये.


"चलो अब अपनी जानू को गौद मैं ले कर चोदुन गा"


यह कहते हुए पापा ने मुझे अपनी गौद मैं भर लिया; इस तरह के मेरी दोनो टांगे उन्हो ने अपनी कमर (वेस्ट) के गिर्द लपट लीं, और मेरे दोनो बाज़ू अपनी नेक के गिर्द लपट लिये, और इस तरह मेरी गांद को नीचे से पकड़ते हुए वो बेड से उतर कर मुझे गौद मैं ले कर फर्श पर खड़े हो गये. पापा का लंड उसी तरह से पूरा मेरी चूत मैं फँसा हुआ था.


इसी तरह उठाए हुए पापा मुझे ड्रेसिंग रूम के फुल साइज़ मिरर के सामने ले गये.


"जानू, देखो मिरर मैं. कैसे लग रहे हैं हम दोनो बाप बेटी?"


मैं मिरर मैं देख कर बुरी तरह शर्मा गयी.


"पापा ... आप बड़े वो हैं ..."


पापा मिरर के सामने इस तरह खड़े थे के मेरी बॅक साइड मिरर की तरफ थी. मैं ने एक बार फिर अपनी नेक घुमा कर मिरर की तरफ देखा. हम दोनो बाप बेटी बिल्कुल नंगे थे. मैं पापा की गौद मैं बंदरिया की तरह लिपटी हुई थी. पापा ने अपने दोनो हाथों से मेरी गांद को थामा हुआ था. पापा की उंगलियाँ मुझे अपनी गांद के गोश्त के अंदर घुसती हुई दिखाई दे रही थी. मेरी गांद का सुराख पूरी तरह से खुला हुआ था. और उसके नीच पापा का मोटा सख़्त लंड जड़ तक मेरी चूत मैं फँसा हुआ था. मेरी चूत के छेद ने पापा के लंड को रब्बर बॅंड की तरह ग्रिप किया हुआ था.


"कैसी बुरी लग रही हूँ मैं पापा .... "


"नही जानू, तुम बहुत हसीन लग रही हो. बिल्कुल उतनी हसीन जितनी एक लड़की मज़े ले कर चुदवाते हुए लगती है.... इतना हसीन जिसम हे मेरी बेटी का .... बिल्कुल ब्लू बॅंड मार्जरिन की तरह .. देखो मिरर मैं, कैसे पापा ने अपनी बेटी की मोटी ताज़ी गांद को पकड़ा हुआ हे ... और मेरा लंड कैसा लग रहा अपनी जानू बेटी की टाइट चूत मैं ...."


पापा ने यह कहते हुए मेरी गांद को ऊपेर उठाया, यहाँ तक के उनका लंड खींचता हुआ टोपी तक बाहर आ गया.


"बहुत टाइट चूत हे मेरी बेटी की. उफ़ मज़ा आ गया जानू .... इस तरह तो 3 या 4 धक्कों मैं हे मेरी मनी निकल जाए गी"


यह कहते हुए पापा ने मेरी गांद को नीचे करते हुए अपने लंड को मेरी चूत मैं पुश किया. फिर बाहर निकाला, फिर किया. और फिर बगैर रुके तेज़ी से वो अपने लंड को मेरी चूत के अंदर बाहर करते रहे. पापा पूरी तरह जोश और मस्ती मैं आ गये था. उनके गले से अजीब अजीब आवाज़े निकल रही थी. मुझे अब पता चला के चुद रही हूँ. इसे चोदना कहते हैं. मेरी अपनी हालत खराब हो चुकी थी. मेरे मुँह से भी है हाई की और बिल्ली की तरह घुर्रने की आवाज़ निकल रही थी.


"चोद रहा हूँ अपनी जानू को .... लंड जा रहा तेरी चूत मैं जानू ... चुद मेरे लंड से .... चुद अपने पापा के लौरे से .... मज़ा आ रहा से .... टाइट चूत है मेरी बेटी की .... "


"पापा चोदो अपनी बेटी को .... चोदो मुझे ..... फाड़ दो मेरी चूत को ..... उफ़ मरगई पापा ... बोहत सख़्त लंड है आप का ...... उफ़ लंड पेट मैं चला गया मेरे ..... पापा फॅट गई मेरी चूत .... चोदो ..... चोदो ..... उफ़ चुद गई मैं मम्मी. ओ' मम्मी पापा ने चोद दिया मुझे ...... पापा ज़ोर से चोदो .... और ज़ोर से चोदो ..... धक्के लगाओ ज़ोर ज़ोर से ...... मज़ा आ रहा है ..."


अब मेरा जिस्म अकड़ना शुरू हो रहा था. मुझे अपना दिमाग़ घूमता हुआ महसूस हो रहा था. मेरी चूत के सारे मुस्छले अकड़ने लगे थे. और चूत के अंदर पापा का लंड फूलने और पिचकने लगा था.


"उफ़ जानू मेरी मनी निकल रही तेरी चूत मैं." इस के साथ ही पापा का जिस्म बुरी तरह मुझे गौद मैं लिये झटके मारने लगा. मेरी गांद को पूरा नीचे खींच कर अपने लंड के साथ जमा दिया, और नीचे से अपने पूरी तरह मेरी चूत मैं फँसा दिया.


पापा की गरम गरम मनी की पिचकारिया मुझे अपनी चूत की गहराइयों मैं जाती हुई सॉफ महसूस हो रही थी. इस के साथ ही मैं भी ख़तम हो रही थी और मेरी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था.

हम दोनो बाप बेटी का जिसम अब ढीला पड़ता जा रहा था. पसीने मैं हम दोनो नहा चुके थे. मेरी चूत मैं बिल्कुल ठंडी पड़ गई थी. पापा का लंड भी ढीला पड़ने लगा था. मगर अभी तक मेरी चूत मैं ही.


पापा इसी तरह मुझे गौद मैं लिये लिये, सोफे पेर बैठ गये, और मैं अपने पापा के सीने के साथ यूँही चिपकी रही. मेरी पसीने मैं भीगी हुई छातियाँ पापा के बालों भरे सीने से पिसी हुई थी.


पापा का लंड आख़िर नरम हो कर मेरी चूत से बाहर निकल आया, और इसके साथ ही मेरी चूत से पापा की मनी बह बह कर बाहर आने लगी.


सोफा खराब ना हो जाए, इस ख़याल से मैं ने नीचे अपनी चूत पर हाथ रख दिया, और पापा की मनी अपने हाथो मैं ले ले कर अपने पैर ऑर बूब्स पर मलने लगी.




पापा और मैं अब थक चुके थे. हम दोनो बाप बेटी बेड पेर जा कर एक दूसरे की बाँहों मैं लिपट कर लेट गाए. मैं पाप के सीने से बरी तरह चिप टी हुई थी, और पापा के होंठों को किस कर रही थी. मेरे टिट्स पापा के सीने से मिले हुए थे.


"कैसा लगा मेरी जानू को?" पापा ने आहिस्ता से मेरे कान से मुँह लगा कर पूछा.


"आप को कैसा लगा पापा?


"जानू, मुझे टॉ बहुत अछा लगा. तुम्हारी अम्मी के बाद आज तुम ने वो मज़ा दिया हे के बता नहीं सकता. बहुत टाइट चूत हे मेरी नूरी की. आज मुझे पता चला के मेरी बेटी का जिस्म कितना सेक्सी हे. जी चाहता के बस अपनी नूरी जानू को चोदता रहूं." यह कहते हुए पापा ने मेरी गाड़ की दोनो गोलाईयों पर हाथ फेरना शुरू कर दिया.


मैं ने अपनी एक टाँग पापा के दोनो टाँगों के बीच मैं डाल कर पापा को अपने से और क़रीब कर लिया, के पापा का लंड मेरी चूत के उपर रगर खाने लगा.


मैं नंगी थी और पापा भी नंगे थे. हमारे दोनो के नंगे जिस्मों मैं फिर से आग दहकने लगी. मैं तो आज इतनी छोटी सी उमर मैं पहली दफ़ा चुदी थी, इस लिये मुझे बहुत ज़ियादा अब बार बार चुड़वाने की खाविश हो रही थी. मेरा बस नही चल रहा था के मैं पापा के कहूँ के बस वो मुझे चोदते रहाीन.


मैं अपनी गांद को आगे की तरफ पुश कर कर के अपनी चूत को पापा के लंड से रगर रही थी. पापा का लंड फिर से तन कर सख़्त हो गया था.


"जानू फिर से चोदू तुम्हे?" पापा मेरी हरकतों से शायद समझ गये थे.


"हून …" मैं इस हून के साइवा कुछ और ना बोल सकी और शरमा कर मैं ने अपना मुँह पापा के सीने मे छुपा लिया, और एक हाथ से पापा का सख़्त लंड मुथि मैं जकर लिया. पापा का लंड मेरी मुथि मैं आते ही बुरी तरह से मचलने लगा.


"मैं अब अपनी प्यारी सी बेटी को पीछे की तरफ से घोरी बना कर चोदूगा" पापा ने यह कहते हुआी मुझे औंधी हो कर गांद ऊपर उठाने को कहा.


मैं बेड पेर औंधी हो गई और गाड़ बिल्कुल ऊपर उठा दी. पापा ने पीछे से मेरी गोल गोल गांद को अपने दोनो हाथों मैं थाम लिया और बजाए अपना लंड मेरी चूत मैं डालने के, उन्हो ने अपनी ज़बान से मेरी चूत चाटनी श्रु करदी.


पीछे से मेरी चूत चाटने की वजह से मेरा बुरा हाल हो गया और मेरे पूरे जिस्म मैं जैसे करेंट सा दौरने लगा.


"पापा …. मार गई …. उफ़ पापा …. काइया कर रहे हैं मेरी चूत मैं ….. मार जाऊंगी ….. चोदिए मुझे …… चोदिए पापा …… मेरी छूट को छोदान ….. लंड डालैन अपना मेरी छूट मैं …..!!"


पापा ने आख़िर एक हाथ से मेरी गांद पकरी और दूसरे हाथ से अपने लंड की टोपी मेरी चूत के छेड़ से लगाते हुआी कहा: "नूरी …. डालूं लंड तेरी चूत मैं .. .. .. उफ़ नूरी कितनी चिकनी और गुलाबी चूत हे मेरी बेटी की …." पापा मेरी चूत पेर अपना लंड फेर रहे थे. मेरी चूत के दाने से लंड की टोपी जुब टच होती तो मैं बुरी तरह मज़े मैं काँपने लगती .


"छोदिए ना पापा …. डालै ना अपना लंड अपनी बेटी की चूत मैं …… मार जाऊंगी ….. पूरी ताक़त से चोदै मुझे ….. आग लग रही हे मेरी चूत मैं पापा …."


पापा ने फिर एक ही धक्के मैं अपना पूरा लंड मेरी चूत मैं डाल दिया और मेरी गोल गोल गोरी गोरी गांद को पाकर कर अपने लंड को तेज़ी से मेरी चूत के अंदर बाहर करते रहे. पापा के लौरे का एक एक झटका मुझे जन्नत की सैर करवा रहा था. मैं अपनी गांद को पापा के हर झटके पेर पीछे पापा के लंड पेर मार रही थी. पापा ने मेरी गांद पेर से हाथ हटा कर मेरी टिट्स को अपनी मुति मैं कस कर पाकर मेरी चूत को चोदना जारी रखा.


मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी. मैं अपनी आंखें बन्द किये चुदाई का भरपूर मज़ा ले रही थी.


"उफ़ जानू तेरी चूत …. मज़ा आ रहा मुझे अपनी बेटी को चोदने का ….. नूरी चुद मेरे लंड से …. चुद मेरे लंड से ….. नूरी तेरी मया की चूत को चोदु …. उफ़ मेरी बेटी की चिकनी चिकनी टाइट चूत को चोद रहा हूँ."


इधर मेरा भी बुरा हाल था. "पापा चोदिये …. चोदिये …. चोद मुझे …. ज़ोर ज़ोर से …. चोद …. चोदो ….. फार दो मेरी चूत को …. उफ़ काइया करूँ ….. मार गई …. ख़तम होने वाली हून पापा …. छूटने वाली हून …."


मेरी चूत ने पापा के लंड को ग्रिप कर लिया. एक दूं पापा ज़ोर से चीखे. "मनी निकल रही हे मेरी ….. अपनी बेटी की चूत मैं …"


एक दूं से मुझे पापा के लंड से मनी का तेज़ गरम गरम फवर अपनी चूत मैं निकलता हस महसूस हुआ. और इधर मैं भी छूटने लगी. पापा और मेरा जिसम साथ साथ झटके मार रहा था.


पापा की मनी निकलने से उनका लंड ढीला परने लगा और गहरी गहरी साँसें लेते हुआी पापा मेरे ऊपर मुझे अपने बॉडी के नीचे दबाते हुआी लेट गाए. मेरी साँसाइन भी तेज़ तेज़ चल रही तीन.


"उफ़ … मज़ा … आ गया …. नूरी."


हम दोनो कुछ देर योही लेते रहे. फिट सीधे हो कर एक दूसरे की बाहों मैं लिपट कर सो गाए. नींद आने से पहले जो चीज़ मुझे महसूस हुई, वो पापा की मनी थी, जो मेरी चूत से आहिस्ता आहिस्ता बाहर मेरी राणो पेर निकल कर बह रही थी. मैं ने हाथ नीचे ले जा कर पापा की बहती हुई मनी अपनी चूत और राणो पेर मालनी शुरू की, और फिर पता नहीं कब सो गई.


सुबा जुब मेरी आंक खुली तो अछी ख़ासी रोशनी हो चुकी थी. आँख खुली तो देखा के मैं ने पापा का तना हुआ लंड अपने हाथ मैं जाकरा हुआ था. मेरी मुथि मैं से पापा के लंड की टोपी फूल कर पर्पल कलर की हो रही थी और चमक रही थी. ट्रॅन्स्परेंट कलर का पानी पापा के लंड के छेद से निकल रहा था. मैं ने अपनी उंगली से पानी को छुआ टॉ लेसदार पानी था, चिकना चिकना.


पापा भी उठ गाए और उठे ही मुझे अपने जिसम से चिपेट कर किस करने लगे.


"पापा मुझे पी आ रही हे"


"मुझे भी आ रही हे जानू"


चलो आओ मेरे साथ बाथरूम मैं.


पापा से चुड़वाने वाली बात और थी. मगर यह सोच कर के मैं पापा के साथ बाथरूम मैं जा कर कैसे पापा के सामने कमोड पेर बैठ कर पी करूँगी, और पापा मेरे सामने पी करेंगे, मुझे बहुत शरम आई.


"नहीं पापा, मुझे आप के सामने पी करते शरम आए गी"


"जानू, जुब तुम अपने पापा से चुदवा चुकी हो, हम दोनो पूरी रात से नूँगे एक दूसरे के सामने हैं, टॉ पी करने मैं काइया है …. आओ … चलो मेरे साथ …"


पापा यह कहते हुए मुझे बेड से उतार कर मेरी कमर मैं हाथ डाल कर मुझे बाथरूम मैं ले गए.


बातरूम के अंदर जाते ही पापा ने मुझे अपने से लिपटा लिया. बेड पेर तो मुझे अपनी हाइट का अंदाज़ा नही हुआ , मगर खरे हुए हालत मैं पता चला के मेरा सिर पापा के सीने तक ही पहुच पाया था. अभी सिर्फ़ मैं 13 साल की थी. हां थोरी सी मोटी थी. गोरा रंग था मेरा, जिस्म मेरा भरा भरा सा था और गांद मेरी खास तौर से बहुत मोटी और बाहर की तरफ निकली हुई थी. यह सब मैं इस लिये बता रहीं हूँ के मुझे पापा से लिपट कर अपने सरपे का एहसास हुआ. खरे होने की वजह से पापा का मुरझाया हुआ लंड मेरी टिट्स को छू रहा था.


पापा मुझे झुक कर प्यार कर रहे थे और मेरे सारे जिसम और मेरी गांद और चूत पेर हाथ फेर रहे थे.


"उफ़ जानू कितना प्यारा और सेक्सी जिसम हे मेरी बेटी का…. क्या करूँ तेरे साथ जानू ….. बिल्कुल मुलतानी चिकनी मिट्टी की तरह जिसम हे तेरा जानू ….. "


इस के साथ ही पापा ने जब मेरी चूत के दाने (क्लिट) पेर उंगली फेरी तो मेरे सारे जिसम मैं सनसनी दौर गई. पेशाब मुझे भोथ ज़ोर से आ रहा था. पिछळी शाम से मैं ने पेशाब नही काइया था.


"पापा मुझे बहुत ज़ोर से पी आ रही हे, निकल जाई गी"

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