Monday, March 20, 2017

बाप बेटी का लगातार चुदाई - Part 3

मगर पापा ने मेरी एक ना सुनी और बाथरूम के टाइल वाले फरश पेर लेट कर उन्हो ने पाकर कर मुझे अपने मुँह पेर बिठा लिया.


मेरी हालत यह थी के एक तरफ मुझे फिर से चुड़वाने की शडीड खाविश हो रही थी, और दूसरी तरफ मुझे बरी ज़ोर का पेशाब आ रहा था, और तीसरी तरफ मैं स्क्वाटिंग पोज़िशन मैं पापा के मुँह के साथ अपनी चूत लगाए बैठी थी.


"पापा, प्लीज़ मुझे पी करने दें पहले …. निकल जाए गी नहीं तो ….."


"तो करो ने पी" पापा एक लम्हे के लिये मेरी चूत से मुँह हटा कर बोले. पापा की ज़बान मेरी चूत के पेशाब वाली जगह को चाट रही थी.


मैं हैरान रह गई. मुझे अपने कानो पेर यक़ीन नही आ रहा था के पापा ऐसा भी सोच सकते हैं.


"ची पापा …. आप के मुँह मैं चला जाए गा मेरी पी … पापा आप बोहट गंदे हैं .."


"जानू करो मेरे मुँह मैं … अपनी बेटी का पेशाब पीऊँगा … कर मेरी जान …"


पापा यह कहने के बाद मेरी गांद को ज़ोर से पाकर कर मेरी चूत पूरी की पूरी अपने मुँह मैं भर ली, के मैं अब कुत्छ भी नहीं कर सकती थी, सिवाए पापा के मुँह मैं पी करने के. पी को रोकना अब मेरी बर्दाश्त से बाहर हो रहा था. ऐसा लगता था के अगर मैं ने अब और एक सेकेंड भी देर की तो मेरा ब्लॅडर फॅट जाए गा.


फिर मेरी पेशाब के सुराख से पहली गरम गरम तेज़ धार मेरे पापा के मुँह मैं निकली. एक धार मार कर मेरा पेशाब रुक गया. मुझे लगा के पापा का मुँह मेरी एक धार से पूरा भर गया होगा. मेरी चूत चुनके पापा के मुँह मैं पूरी घुसी हुई थी, लहज़ा मुझे पापा के मुँह की मूव्मेंट से पता चल गया के पापा ने अपने मुँह मैं भरा हुआ मेरा यूरिन पी लिया हे.


"जानू ….. अब खरी हो कर अपने पापा पेर पेशाब करो … लेकिन आहिस्ता आहिस्ता …. जितना भी रुक रुक कर कर सकती हो … मेरे मुँह पेर …. मेरी बॉडी पेर और पापा के लंड पेर …"


मैं पापा के मुँह पेर से उठ कर खरी हो गई. मैं ने अपनी गांद बिल्कुल आगे की तरफ करते हुआी, अपनी चूत को अपनी उंगलिओन से चीरते हुआी पेशाब की एक सीधी धार पापा के चेहरे पेर मारी. पापा मुँह को पूरा खले हुआी थे. मेरे गोलडेन कलर की गरम पेशाब की फुल तेज़ धार पापा के चेहरे पेर पार्टी हुई उनके मुँह मैं गई. मुझे पापा के हलाक़ से गर्र्र्र…गर्र्र्र…ग.र.र.र.र.र की आवाज़ आई, और पापा का खुला हुआ मुँह मेरे पेशाब से पूरा भर गया, बुलके उनके होंटो के किनारों से मेरा पेशाब झाग की शकल मैं बह रहा था. पापा के मुँह मैं अपनी पी देख कर मेरी जो मस्ती से हालत हो रही थी वो मैं बता नहीं सकती. जी चाहता था के अपने पापा के मुँह से अपना मुँह लगा कर उन्हे खूब प्यार करूँ और पापा के साथ अपनी पी शेर करूँ.


मेरी पी अब रुक नही रही थी. मेरी चूत से मेरी गोलडेन पी अब पापा के बॉडी पेर गिर रही थी. फिर पीछे हट तय हुआी मैं ने पापा के हाफ हार्ड लंड पे पेशाब करना श्रु काइया. इसी तरह मैं ने आगे पीछे होते हुआी पापा को पूरा का पूरा अपने यूरिन से नहला दिया. बात रूम का पूरा वाइल टाइल्ड फ्लोर मेरे यूरिन से गोलडेन हो रहा था. पापा ने फिर मेरा हाथ पाकर कर मुझे अपने ऊपेर गिरा लिया. मेरा पेशाब अब भी मेरी चूत से निकल रहा था. इतना ज़ियादा पेशाब मैं कर रही थी के मैं हैरान रह गई. पापा के जिसम से लिपटने की वजह से मैं भी अपने यूरिन मैं गीली हो गई. पापा ने अपने मज़बूत बाज़ू मैं मुझे जाकरा हुआ था और मेरे मुँह की चूमियँ ले रहे थे. मुझे अपने पी की तेज़ स्मेल अपने और पापा के जिसम से आ रही थी.


"अब खुश पापा? मज़ा आया आपको?" मैं ने पापा से पूछा.


"उफ़ जानू इतना मज़ा आया के मैं बता नहीं सकता! मेरी बेटी को मज़ा आया?"


"पापा मुझे पता नहीं था इस तरह करने मैं इतना मज़ा आता है. भोथ ज़ोर से पी आ रही थी, इस लिये मज़ा भी भोथ आया, बस अब चोदो मुझे…"


यह कहते हुआी मैं पापा के लंड पेर अपनी चिकनी हेरलेस चूत को रगार्ने लगी. मेरे चूत रगार्ने की वजह से पापा का लंड पूरा तन कर सख़्त हो गया, और मेरे पायट मैं घुसने लगा.


"जानू अभी मज़ा तुम ने और मैं ने पूरा कहा लिया हे … मुझे भी तो पी करनी हे. मैं ने भी कल आफ्टरनून के बाद से पी नहीं की … "


यह सुन कर के अब पापा पी कराईं गे और वो भी मेरा ऊपेर, मैं लिज़्ज़त और मस्ती मैं पूरी भर गई.


पापा ने मुझे बात टब के अंदर बैयतने को कहा. फिर उन्हो ने बात टब की ड्रेन को रब्बर प्लग से बूँद कर दिया. मैं समझ गई के पापा अपना यूरिन बात टब मैं से ड्रेन आउट नही करना चाहते थे.


मैं बात टब मैं अपनी नीस पेर खरी हो गई, और पापा ने मेरे सामने खरी हो कर अपना लंड की टोपी मेरे मुँह मैं डाल दी.


"जानू, अब पापा की पी निकलने वाली हे …. तय्यार हो?"


मैं ने इशारे से सिर हिला कर हन कहा. रात से मैं जिस सिचुयेशन से गुज़र रही थी, ये मेरी लाइफ की सूब से थ्रिलिंग सिचुयेशन थी. मुझे कभी इन सूब बातों का तस्सावार भी नही आया था, और ऊपेर से यह यूरिन वाली सिचुयेशन ने तो मुझे मस्ती की इंतिहा बुलंडीओन पेर फॉनचा दिया था.


अचानक पापा के लौरे से पेशाब की गरम गरम नमकीन धार मेरे मुँह मैं निकली, और मेरा मुँह भर गया. मैं बे इकतियार पापा का पेशाब पीने लगी. धार इतनी तेज़ी से निकल रही थी के पापा का पेशाब मेरे मुँह के किनारों से निकल कर मेरे जिसम पेर बह रहा था.


फिर पापा ने लंड मेरे मुँह से बाहर निकाला और मेरे हेर्स, फेस और टिट्स पेर अपने गोलडेन, गरम पेशाब की तेज़ धार मरते रहे. मेरा बस नही चल रहा था के मैं काइया करूँ. मैं अपने दोनो पाम्स ज़ोर कर पापा का पेशाब उसमे भारती और अपने फेस तो धोती और अपनी छातियों पेर डालती रही.


जुब मैं मज़े और मस्ती की हाइट पेर थी तो पापा का पेशाब एक दूं रुक गया.


"पापा काइया हुआ?"


"अभी तो श्रु हुआ हे जानू" पापा ने यह कह कर मुझे टब मैं लेटने को कहा. मैं चिट हो लेट गई और अपनी तांगे खोल दी.


पापा ने मेरे पावं के तरफ खरे हो कर अपना लंड पाकर के मेरी पूरी बॉडी पेर अपने पेशाब की गोलडेन और गरम गरम नमकीन धार मारनी श्रु करदी. मैं सिर के बलों से ले कर फीट तक पापा के गोलडेन पेशाब मैं डूब गई. पापा के पेशाब की धार मेरी आँखों पेर, होंतों पेर, मुँह मैं, छातियों पेर, मेरे पायट और चूत पेर गिर रही थी. मैं बुरी तरह से पापा का पेशाब अपने पूरे जिसम पेर माल रही थी और अपनी चूत को पापा के पी से नहला रही थी.


पापा के गरम गरम पेशाब की तेज़ धार मेरी बॉडी पेर अजीब सा मज़ा दे रही थी. बात टब का होल बूँद होने की वजह से, बात टब मैं पापा का गोलडेन यूरिन भरा हुआ था, और मैं उस यूरिन मैं जैसे स्विम कर रही थी. पापा का जुब पेशाब ख़तम हुआ तो वो बात टब मैं मेरे फीट के पास बैठ गाए.


"पापा अब चोदोना मुझे … मुझ से बर्दाश्त नही होता ….. मैं मार जाऊंगी पापा ….. अपना लंड डालो मेरी चूत मैं …" . मेरी हालत चुड़वाने की खाविश की वजह से बहुत बुरी हो रही थी.


बाथ टब की स्पेस टाइट हनी की वजह से पापा को मेरी टांगें उठा कर मुझे चोदने मैं मुश्किल हो रही थी. पापा ने मुझे उल्टी हो जाने को कहा. मैं औंधी हो गई और अपनी गांद पूरी ऊपर उठा दी, ताकि पापा को अपना लंड मेरी चूत मैं डालने मैं मुश्किल ना हो. मगर औंधी होने मैं मेरा चेहरा आधे से ज़ियादा पापा के यूरिन मैं डूबा हुआ था. जनरली, यूरिन की स्मेल अछी नही लगती, मगर उस वक़्त मुझे अपने पापा के पेशाब की स्मेल बोहट अछी लग रही थी. पापा का गोलडेन पेशाब मेरी नोस और मेरे मुँह मैं जा रहा था.
पापा ने झुक कर अपना लंड मेरी चूत मैं डालने की कोशिश की, लेकिन जगह तुंग हो ने की वजह से उन्हे मुश्किल हो रही थी.


"जानू, बाथ टब से बाहर जा कर तुम्हे चोदना परे गा" पापा ने कहा.


"नहीं पापा यहीं चोदो … आप के पेशाब मैं लिपट कर चुड़वऊंगी"


पापा ने मुझे उठने को कहा, और खुद बाथ टब के फ़राश पेर हेड रेस्ट के साथ अपनी कमर टीका कर और अपनी टांगायन लंबी कर के बैठ गये. पापा का लॉरा फुल तना हुआ खरा था और मेरी पी मैं भीगा हुआ था. मैं पापा की तरफ मुँह कर के पापा के लंड पेर इस तरह बैठी के पापा के लंड की 3 इंच मोटी पर्पल टोपी मेरी चूत के छेद से लगी हुई थी. मैं ने नीचे हाथ डाल कर पापा के लंड को अपनी मुथि मे जकर लिया और लौरे को अपनी खुली हुई चूत के बीच मैं ओपपेर से नीचे की तरफ फेरने लगी. जुब मैं पापा के लंड की टोपी को अपनी क्लिट पेर फेरती तो मेरे पूरे जिसम मैं गुदगुदी हों ने लगती. मैं फुल मस्त हो चुकी थी. मैं इन सूब बातों को भूल चुकी थी के मैं अपने सगे बाप के साथ ये कर रही हूँ.


अब पापा से भी बर्दाश्त नही हो रहा था.


"जानू जल्दी से मेरा लंड अपनी चूत के अंदर ले कर मुझे चोदो, वरना मेरी मनी बाहर ही निकल जाएगी".


मैं ने पापा का लंड अपनी चूत के होल से लगाते हुआ पापा के लौरे पेर बैठती चली गई. पापा का लंड मेरी टाइट चूत को चीरता हुआ अंदर पूरा चला गया. इतना सख़्त पत्थर की तरह लंड था पापा का के मुझे ऐसे लगा के पापा का लंड मेरे पायट मैं से होता हुआ मेरे मुँह से बाहर आ जाए गा.


मेरी छोटी सी चूत मैं पापा का लंड पूरा फँस गया था, यहाँ टुक के मैं अपनी गांद को ऊपेर नीचे कर रही थी के पापा का लंड भी इसके साथ ही मेरी चूत मैं अंदर बाहर होता रहे, लेकिन लंड इतनी बुरी तरह मेरी नन्ही सी टाइट चूत मैं फँस चुका था के लंड अंदर बाहर भी नही हो रहा था.


"पापा भोथ सख़्त और मोटा लंड हे आपका … कैसे चोदु आप को"


पापा को भी मुश्किल हो रही थी मुझे चोदने मैं, इस लिये के वो नीचे से कुत्छ नही कर सकते थे. आख़िर उन्हो ने मेरी गांद के नीचे हाथ डाल कर और मुझे अपनी गोद मैं भरते हुआी उठ कर खरी हो गाए. मैं पापा के जिसम के साथ लिपट गईं. पापा इसी हालत मैं ले कर मुझे टब से बाहर आए, और फिर मुहज़े बाथरूम के फ्लोर पेर लिटा कर मेरी टाँग उठा कर मुझे चोदने लगे.


"उफ़ मेरी बेटी की चूत वाक़ई बोहट टाइट हे …. बोहट मूसखिल हो रही हे अपनी जानू को चोदने मे"

पापा अपना लंड जुब मेरी चूत मैं अंदर बाहर करने लगते तो उसके साथ ही मेरी चूत की अंदर की स्किन भी बाहर निकल आती. एक दफ़ा जो पापा ने ज़ोर लगा कर मेरी नाज़ुक चूत से अपने लंड को खींच कर बाहर निकाला तो झटके से पापा खुद भी पीछे चले गाए, और मेरी चूत मैं से बोहट ज़ोर की ऐसी आवाज़ आई जैसे के बॉटल का कॉर्क निकलने से या पेप्सी के बॉटल का ढक्कन खोलने से आती हे.


पापा ने हाथ बढ़ा कर आख़िर कोकनट आयिल की बॉटल उठाई और मेरी चूत और अपने लंड पेर खूब सारा आयिल माला. फिर जो उन्हो ने मेरी चूत से अपने लंड की टोपी को लगाया तो एक ही झटके मैं पापा का लंड फिसलता हुआ पूरा का पूरा मेरी चूत मैं चला गया. अब पापा आराम से मज़े ले ले कर मुझे छोड़ने लगे. छोड़ते हुआी कभी मेरी एप्रिकॉट जैसी टिट्स को पाकर कर चूस्टे, काहबी मुँह मैं अपनी ज़बान डाल कर मुझे प्यार करते.


"उफ़ जानू मज़ा आ रहा तुझे छोड़े मैं … चोद रहा हूँ तुझे जानू … चुद मेरे लंड से …. पूरा लंड गया मेरी बेटी की चूत मैं ….. चोद रहा हूँ अपनी बेटी को …..उफ़ तेरी टाइट चूत जानू …"


"पापा चोदो मुझे …. छोड़ो … और ज़ोर से चोदो अपनी बेटी को ….. मज़ा आ रहा हे पापा …. उफ़ पापा कितना मोटा और लंबा लंड हे मेरे पापा का …. उफ़ मार गई … पापा मेरे पेट मैं चला गया लंड आप का."


एक दम से पापा के धक्कों मैं तेज़ी आगाई. उन्हो ने मेरी गांड के नीचे हाथ डाल कर इतनी शिद्दत से धक्के मारनें शुरू किये की मस्ती से मेरी सिसकारियाँ निकलने लगीं, और मैं चूत पानी छोरने लगी. उसके साथ ही पापा ने भी चीकथे हुआी मेरी चूत की गहराइयों मैं अपनी गरम गरम मनी की धार चोर दी. मेरी चूत पापा की मनी से लाबा लूब भर गई. पापा मेरे ऊपेर गिर परे. हम दोनो बाप बेटी जैसे नशे मैं टन हो चुके थे. हम दोनो के सर बुरी तरह घूम रहे थे. हम दोनो गहरी गहरी साँसें ले रहे थे, जैसे 5 किलोमीटर की रेस लगा कर आ रहे हों.


पहली ही दफ़ा मैं हम दोनो बाप बेटी चुदाई का इतना मज़ा ले चुके थे के शाएेद सुहाग रात को हज़्बेंड और वाइफ भी नही लेते होंगे. हम दोनो इतना थक चुके थे के अब और हिम्मत नही थी. जितना मैं पहली दफ़ा मैं छुड़वा चुकी थी और मज़े ले चुकी थी, उसके नशे मैं सिर से पाओं तक डूबी रहना चाहती थी.


कोई 15 मिनिट्स तक अपनी अपनी साँस ठीक करने के बाद हम दोनो उठे और पापा ने बाथ टब का शावर खोल दिया. दुनिया मैं कितने बाप बेटी ऐसे होंगे जो एक साथ नंगे बाथ टब मैं नहाए हों? ठंडा ठंडा पानी जिसम से लगते ही मज़ा आ गया. पापा ने मेरे सारे जिसम पेर लक्स सोप लगा कर और मेरे बालों मैं सुनसिल्क शॅमपू अछी तारा लगा कर और मेरे पूरे जिसम हेड से ले कर फीट तक मल मल के मुझे नहलाया. मैं पापा की तरफ बॅक कर के उनके जिसम के साथ जूरी हुई थी. पापा ने मेरी नेक के बाद जब मेरी एप्रिकॉट जैसे टिट्स को सोप लगा कर हाथों से मलना श्रु काइया तो मेरी टिट्स से ले कर मेरी चूत तक टिकलिंग शुरू हो गई.


फिर पापा का हाथ जब अपनी छोटी सी बेटी की हेरलेस चूत पेर पहुँचा तो मैं एक बार मस्त होने लगी. सोप की वजह से चूत मेरी और चिकनी हो गई थी, ऊपेर से पापा की उंगलियाँ जब मेरे चूत के दाने को मसाल्तीं तो मैं बे इक्तियार गांद को आगे पीछे करने लगती.


पापा के दोनो हाथ मेरी चूत से होते हुआी पीछे मेरी गोरी और मोटी मोटी गांद पेर सोप मलने लगे. पापा ने अपना हाथ मेरी गोरी और वॉटर मेलन जैसी गांद पेर फेरना शुरू काइया, और फिर अपने हाथ से मेरी गांद के ग्लोब्स के बीच मैं सोप के सड्स मलने लगे.


मैं तो अभी पूरी तरह जवान भी नहीं हुई थी, और ना मुझे अभी तक पीरियड्स श्रु हुआी थे. कच्ची जवानी मैं जब लर्की पहली दफ़ा चुड़वा लेती है तो उसका बस नहीं चलता के वो हर पल चुड़वाए. और यहाँ तो परदह ही कोई नही था. छुड़वाने वाली बेटी थी तो छोड़ने वाला मेरे पापा थे. और पापा मैं पूरा ट्रस्ट कर सकती थी, क्यूँ क पापा से मुझे मम्मी के वक़्त से ही बोहट प्यार था. मगर वो पहले वाला प्यार रियल बाप बेटी वाला था. अब मेरे प्यार ने एक नया टर्न ले लिया था और मैं अब सेक्सुअल्ली पापा को प्यार करने लगी थी. पापा पेर मेरा ट्रस्ट और भी ज़ियादा हो गया था. मैं शाएेद किसी अजनबी लरके से कभी इतना नही खुल सकती थी. अगर किसी लरके से प्यार हो भी जाता, तो भी मैं उसके साथ इतनी जल्दी सेक्स अफेर मैं नही जाती.


पापा के साथ पिछली रात से मेरा सेक्स अफेर शुरू हुआ. पापा ने जो भी मेरे साथ काइया, मेरे एग्री होने पर काइया. मेरी बॉडी को अब्यूस नही काइया. मेरे जिसम के एक एक ऑर्गन को बोहट प्यार से हॅंडल काइया. यहाँ तक के मेरी चूत को भी आराम से और मुझ से पूछ पूछ कर छोड़ा, ताकि मुझे दर्द ना हो, तकलीफ़ ना हो. यह सब इस लिये हुआ के पापा भी मुझे बोहट प्यार करते थे (और करते हैं). मैं हमेशा पापा से बोहट क्लोज़ रही हूँ. और वो बाप बेटी के अनमोल प्यार का रीलेशन था. और एक ही रात मैं इतनी सी आगे मैं, मैं पापा की औरत बुन चुकी थी.


यह सूब सोचते सोचते हम दोनो बाप बेटी बाथ ले चुके थे के अचानक मुझे पापा का तना हुआ सख़्त लंड पीछे से अपनी गांद के बीच मैं घुसता हुआ लगा. पापा का 7 इंच के लंड का हेड मेरी गांद के ग्लोब्स के बीच मैं से होता हुआ मेरी चूत की तरफ से बाहर निकल आया. पापा ने ऐसा जान के नहीं काइया था. असल मैं पापा शवर को बूँद करने के लिये जब आगे हुआी तो आप ही आप ऐसा होगआया.


मैं ने झट से पापा के लौरे की टॉप को अपनी मुथि मैं पाकर लिया और अपनी मुथि को लंड पे आगे पीछे करने लगी.


"जानू काइया फिर चुदना चाहती हो" पापा ने पूछा.


"नही पापा … बोहट ज़ियादा हम दोनो थक नही गये … हन बेड पे आप के साथ सोने से पहले आपके इस प्यारे से लंड को चूस कर इसकी गरम गरम मनी मुँह मैं निकल कर पीऊँगी .. ठीक हे ना पापा?"


बाथ लेने के बाद पापा मुझे अपनी गौड़ मैं उठा कर बेड पेर ले गाए. मैं नंगी पापा की गौड़ मैं अजीब सी लग रही थी. छोटी सी नन्नी बेबी की तरह मैं मैं पापा की बाहों मैं थी.


बेड पेर पापा की तरफ करवट ले कर लेट कर मैं ने अपनी मुथि मैं पापा का खरा हुआ सख़्त लंड पाकर लिया और आहिस्ता आहिस्ता पापा के लंड को सहला ती रही. मुझे अपने पापा पेर बे हुड प्यार आ रहा था, जिन्होने एक ही रात मैं अपनी बेटी को काली से फूल बना दिया था. मैं लर्की और लरके के सेक्स रिलेशन्स (जिन्सी रिश्ते) से ना आशना थी. पापा के साथ एक ही रात मैं, मैं सूब कुछ सीख गई, समझ गई और वो भी भरपूर मज़े के साथ.


पापा का लंड पाकरे पाकरे मैं पापा के सीने के ऊपर हो कर अपने पापा को किस करने लगी. पापा आँखें बूँद किए लेते थे. मैं ने पापा के लिप्स अपनी लिप्स मिला कर खूब किस करने लगी. फिर पापा की आँखो, गालों और नेक पेर किस करती रही. पापा ने अपने एक हाथ बघल के नीचे डाल कर मुहज़े अपने साथ ज़ोर से चिमटा लिया. किस्सिंग करते करते मैं ने पापा से पूछा:


"पापा मैं कैसी लगती हूँ आप को?"
"बहुत पियरी, बहुत खूबसूरत" पापा ने जवाब दिया.


"आप कितना प्यार करते हैं मुझसे, पापा?"
"मेरी बेटी बहुत ही प्यारी हे और मैं अपनी बेटी से बहुत ज़ियादा प्यार कर्ता हूँ"


"पापा आप अब मुझे बेटी वाला प्यार ज़ियादा कराईं गे, या ये सेक्स वाला?"


"यह सूब तुम क्यूँ पूच रही हो जानू"


"बताएँ ना पापा…"


"मेरे और तुम्हारे डर्मायाण असल रिश्ता तो बाप बेटी का ही हे, जिस के नाते मैं अपनी बेटी को जान से भी ज़ियादा प्यार करता हूँ" पापा कहते जा रहे थे .. "तुम मेरी ज़िंदगी हो बेटी, बोहट ही प्यारी, और इतनो हसीन और मासूम के बता नही सकता. बाप बेटी होने की वजह से हमारे बीच जो कुत्छ भी हुआ, वो घालत हुआ. गुनाह हुआ. लेकिन जो कुछ भी सेक्षुयली हमारे बीच हुआ, वो सेक्स की भूक की वजह से हुआ. इंसान कमज़ोर होता है. मैं एक साल से सेक्स नही कर सका था. सेक्स की शिद्दत और डिमॅंड मेरे जिसम के अंदर आग लगा रही थी. मैं सेकेंड मॅरेज कर सकता था, मगर इस लिये नही काइया के उस की वजह से मेरी बेटी की लाइफ पेर बुरा असर होता." पापा तोरा साँस लेने को रुके, फिर कहने लगे ..


"बेटी जो कुछ भी हमारे बीच हुआ, वो बिल्कुल अचानक और आक्सिडेंट्ली हो गया. ना मैं नंगा हो के अपने लंड की मुथि लगा रहा होता, ना तुम डर कर अचानक पापा के बेडरूम मैं एंटर होतीं, ना मुझे इस हालत मैं देख कर तुम्हारी जज़्बात भरकते. खैर अब तो जो होना था वो हो गया … मैं अपनी जानू को बेटी और सेक्स लवर दोनो तरह प्यार करता हूँ. आस आ सेक्स लवर, तुम बे हुड मज़ेदार चीज़ हो. मेरी बेटी का जिसम बिल्कुल बटर जैसा चिकना और सॉफ्ट हे. तुम से ज़ियादा मज़ा मुझे छोड़ने का कभी नही आया – तुम्हारी मम्मी के साथ भी नही."


"पापा अब आप ऐसे ही करते रहें गे ना मेरे साथ? मैं आप से प्रॉमिस करती हूँ के कभी भी किसी को मेरे आप के इस रीलेशन के बारे मैं नही बताऊँगी. आप को एक आक्ची बेटी का प्यार भी दूँगी, और एक सेक्स-लविंग वाइफ का प्यार भी दूँगी." मैं कहती गई --- "पापा जब आप का दिल करे, मुझे छोदान. और जिस तरह भी आप का दिल करे, आप मुझे छोदान. मेरा पूरा जिसम आप के लिये हे पापा. मेरे मुँह मैं लंड डाल कर चोदे, या मेरी चूत को चोदे, या मेरे जिसम से खेलें. मैं आपको पूरा एंजाय करावाऊंगी."


यह कहते हुआी मैं ने पापा का लंड ज़ोर से अपनी मुथि मे भींच लिया. पापा की सिसकारी निकल गई. पापा का लॉरा काउ की नुल्ली की तरह सख़्त हो रहा था.


"पापा, बोहट सख़्त और मोटा लंड हे आप का, तभी तो मेरी चूत मैं जा कर फँस गया था. मैं तो दर गई थी के अब कभी बाहर निकले गा ही नही, और हमे इसी हालत मैं डॉक्टर के पास जाना परे गा."


पापा मेरी बात सुन कर हंस परे.


"पापा चूसूं आप का लंड?"


"जानू, पापा का लंड तुम्हारे हाथ मैं है, जो जी चाहे करो!"

पापा बिल्कु सीधे लेते हुआी थे और उनका लंड बिल्कुल स्ट्रेट सीलिंग की तरफ मुँह किये तना हुआ खरा था. मेरा दिल चाहा के पापा के इतने हसीन लंड पे, के जिस की पर्पल टोपी से चिकना चिकना पानी निकल रहा था, मैं अपनी चूत रख के बैठ जौन. लेकिन टाइयर्डनेस की वजह से हिम्मत नही हो रही थी. मैं ने लेते ही लेते पापा के ऊपेर आ कर अपनी टांगायन पापा के मुँह की तरफ करते हुआी पापा के लंड की टोपी को अपने मुँह मैं ले कर चूसना शुरू कर दिया. पापा के लंड का चिकना चिकना ट्रॅन्स्परेंट पानी मेरे मुँह के अंदर टपकने लगा.


पापा ने भी मेरी गांद को पाकर कर मेरी चूत मैं उंगली करनी श्रु करदी, और साथ ही साथ मेरी गांद पेर भी हाथ फेरते रहे. मुझे मस्ती छरहने लगी थी. लेकिन इस से पहले के मैं कुछ चोदने के बारे मैं सोचती, पापा एक दूं अपनी हिप्स को ऊपेर उठा कर लंड मेरे मुँह मैं देने लगे, और फ्यू सेकेंड्स मैं ही पापा के लंड से गरम गरम क्रीमिन जैसी टेस्टी मनी मेरे मुँह मैं जेट की तरह निकलने लगी. मैं जल्दी जल्दी अपने पापा की सारी मनी पीटी गई. एक ड्रॉप भी मैं ने बाहर नही निकलने दिया. पापा अपनी हिप्स को उठा उठा कर अपना लंड मेरे मुँह मैं डाल रहे थे.


पापा की मनी (स्पर्म) पी कर मैं फिर पापा के चिकने लंड के ऊपर ही सिर रख कर सो गई.
तो दोस्तो अब जान ही गये होगे आप सब की हम बाप बेटी का जब भी चुदाई का मन करता
हमजी भरकर चुदाई करते हैं




~~~समाप्त~~~

Sunday, March 19, 2017

बाप बेटी का लगातार चुदाई - Part 2

"पापा मेरी चूत मैं बहुत खारिश हो रही हे ... उफ़ मर जाऊंगी ... पापा बहुत खुजली हो रही हे ..."


पापा ने जुब यह सुना तो मुहज़े अपने ऊपेर से उतार कर बेड पेर चित लिटा दिया, और मेरी टाँगों के बीच मैं घुटनो के बल बैठ कर बोले"


"जानू, अब पापा अपनी बेटी के साथ वो करने जा रहे हैं जो पापा तुम्हारी मम्मी के साथ करते थे. तय्यार हो तुम, शहला?"


"पापा क्या अब आप चोदन्गे मुझे? पापा बहुत मोटा और सख़्त लंड है आप का, और लंबा भी बहुत हे. इतना मोटा लंड कैसे मेरी चूत मैं जाएगा, पापा?"


"मैं ने अपनी बेटी की चूत चाट चाट कर इतनी चिकनी कर दी हे अब इस्मे हाथी का लंड भी चला जाएगा. डरो मूत शहला, मैं पहले सिर्फ़ अपने लंड के टोपी चूत मैं डालूँगा. फिर आहिस्ता आहिस्ता चोद्ते हुए पूरा लंड डालूं गा."


यह कहते हुए पापा ने मेरी दोनो टांगे उठा कर अपने कांधों पर रखीं, और मेरी गोल गोल गांद के नीचे पिल्लो रख दिया, जिस से मेरी गांद और चूत बिल्कुल ऊपेर उठ गई. पापा मेरे उपर आ गए और मेरी दोनो टिट्स को पकड़ते हुए कहा: "शहला .. पहली दफ़ा तुम मुझ से चुदवा रही हो.. अच्छा हे के बेटी अपने बाप का लंड खुद अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चूत के छेद से लगाए."


मैं और पापा फुल मस्ती मैं थे. मैं ने राइट हॅंड से पापा का तना हुआ लंड जो मेरे चूसने की वजह से चिकना हो रहा था, पकड़ कर उसकी टोपी को अपनी चूत के मुँह से लगाया.


पापा ने होले से अपने लंड को मेरी चूत मैं पुश किया, और इसके साथ ही मेरी चूत के छेद मैं पापा के लंड की टोपी फँस गई.


"मज़ा आया शहला?" पापा ने कहा


मेरी नज़रे पापा की नज़रों से मिली, और मैं शरम से आँखे बूँद करली. पापा ने बे इकतियार हो कर, मेरे गालों, मेरे होंठो और मेरी टिट्स को प्यार करना शुरू कर दिया.


अब जब के पापा का लंड अपनी बेटी की चूत मैं जा चुका था, तो मुझे शरम आ रही थी के आज मैं अपने ही सगे बाप से चुदवा रही हूँ.


"जानू, और लंड डालूं अंदर?"


मैं ने शरम से कुत्छ ना बोल पाई. पापा ने फिर कहा: "जानू, शर्मा क्यूँ रही हो अपने पापा से. अब तो पापा का लंड जा चुका हे तुम्हारी चिकनी चूत मैं. बोलो और डालूं अंदर; जानू मैं पूरी तरह लंड तुम्हारी चूत मैं डाल कर चोदना चाहता हूँ. वही सही चुदाई होती है".


मैं फिर भी कुत्छ ना बोली और सिर्फ़ मेरे मुँह से आहिस्ता से "हूँ" निकल सका.


पापा जैसे हे मेरी "हूँ" सुनी, और उन्हों ने एक हे झटके से अपना पूरा सख़्त और लंबा लंड मेरी चूत मैं डाल दिया. मेरी चूत चिकना चिकना पानी छोड़ रही थी, मगर फिर भी पहली दफ़ा तकलीफ़ की वजह से मेरी चीख निकल गई.


"मर गई पापा. दर्द हो रहा मेरी चूत मैं बहुत ज़ोर का. मेरी चूत फॅट गई पापा. उफ़ .... मर गई ..."


पापा ने मेरी टांगे अपने कांधो से उतार कर मेरे जिस्म को अपने जिस्म से सटा लिया. मेरी टांगे खुली हुई थी औरइस दर्मयान पापा का लंड पूरा का पूरा मेरी छोटी सी चूत मैं घुसा हुआ था. मेरी चीख सुन कर पापा ने मुझे प्यार करते हुए कहा: "जानू, पहली पहली बार दर्द होता है, 2 मिनिट मैं यह दर्द ख़तम हो जाए गा, और फिर मज़ा आने लगे गा. वैसे भी तुम्हारी चूत इस क़दर टाइट हे के रब्बर बॅंड की तरह मेरे लंड को जकड़ा हुआ है".


हम दोनो बाप बेटी कुत्छ देर तक उन्ही लिपटे रहे. इस दोरान पापा मुझे किस करते रहे. मेरी आँखों मैं तकलीफ़ की वजह से आँसू आ गए थे. पापा के प्यार करने से मैं ठीक होने लगी और मैं ने भी पापा के होंठो पेर प्यार करना शुरू किया. किस करते हुए पापा ने अपनी ज़बान मेरे मुँह मैं डाल दी, और मैं पापा की ज़बान को चूसने लगी. पापा की ज़बान से मुझे अपनी चूत का टेस्ट आ रहा था. मैं बहुत ज़्यादा गरम हो गई. उत्तेजना से मेरा बुरा हाल होने लगा. पापा ने फिर मेरे बूब्स को चूसना शुरू किया, और मैं बुरी तरह मचलने लगी.


दर्द अब बिल्कुल ख़तम हो गया था और उसकी जगह वाक़ई अब मुझे इतना मज़ा आ रहा था के मैं बता नहीं सकती. मैं सोच रही थी के मम्मी भी इसी तरह पापा से चुदवाते हुए मज़ा लेती होंगी.


जुब मज़ा मेरी बर्दाश्त से बाहर हो गया, और पापा उन्ही मेरे ऊपेर पड़े हुए थे, तो मुझ से रहा ना गया: "पापा, कुत्छ करो ना .... मेरी चूत मैं आग लगी हुई है ...."


इस के साथ ही मैं ने नीचे से पापा को ऊपेर की तरफ पुश किया. पापा अपनी बेटी का इशारा समझ गये.


"चलो अब अपनी जानू को गौद मैं ले कर चोदुन गा"


यह कहते हुए पापा ने मुझे अपनी गौद मैं भर लिया; इस तरह के मेरी दोनो टांगे उन्हो ने अपनी कमर (वेस्ट) के गिर्द लपट लीं, और मेरे दोनो बाज़ू अपनी नेक के गिर्द लपट लिये, और इस तरह मेरी गांद को नीचे से पकड़ते हुए वो बेड से उतर कर मुझे गौद मैं ले कर फर्श पर खड़े हो गये. पापा का लंड उसी तरह से पूरा मेरी चूत मैं फँसा हुआ था.


इसी तरह उठाए हुए पापा मुझे ड्रेसिंग रूम के फुल साइज़ मिरर के सामने ले गये.


"जानू, देखो मिरर मैं. कैसे लग रहे हैं हम दोनो बाप बेटी?"


मैं मिरर मैं देख कर बुरी तरह शर्मा गयी.


"पापा ... आप बड़े वो हैं ..."


पापा मिरर के सामने इस तरह खड़े थे के मेरी बॅक साइड मिरर की तरफ थी. मैं ने एक बार फिर अपनी नेक घुमा कर मिरर की तरफ देखा. हम दोनो बाप बेटी बिल्कुल नंगे थे. मैं पापा की गौद मैं बंदरिया की तरह लिपटी हुई थी. पापा ने अपने दोनो हाथों से मेरी गांद को थामा हुआ था. पापा की उंगलियाँ मुझे अपनी गांद के गोश्त के अंदर घुसती हुई दिखाई दे रही थी. मेरी गांद का सुराख पूरी तरह से खुला हुआ था. और उसके नीच पापा का मोटा सख़्त लंड जड़ तक मेरी चूत मैं फँसा हुआ था. मेरी चूत के छेद ने पापा के लंड को रब्बर बॅंड की तरह ग्रिप किया हुआ था.


"कैसी बुरी लग रही हूँ मैं पापा .... "


"नही जानू, तुम बहुत हसीन लग रही हो. बिल्कुल उतनी हसीन जितनी एक लड़की मज़े ले कर चुदवाते हुए लगती है.... इतना हसीन जिसम हे मेरी बेटी का .... बिल्कुल ब्लू बॅंड मार्जरिन की तरह .. देखो मिरर मैं, कैसे पापा ने अपनी बेटी की मोटी ताज़ी गांद को पकड़ा हुआ हे ... और मेरा लंड कैसा लग रहा अपनी जानू बेटी की टाइट चूत मैं ...."


पापा ने यह कहते हुए मेरी गांद को ऊपेर उठाया, यहाँ तक के उनका लंड खींचता हुआ टोपी तक बाहर आ गया.


"बहुत टाइट चूत हे मेरी बेटी की. उफ़ मज़ा आ गया जानू .... इस तरह तो 3 या 4 धक्कों मैं हे मेरी मनी निकल जाए गी"


यह कहते हुए पापा ने मेरी गांद को नीचे करते हुए अपने लंड को मेरी चूत मैं पुश किया. फिर बाहर निकाला, फिर किया. और फिर बगैर रुके तेज़ी से वो अपने लंड को मेरी चूत के अंदर बाहर करते रहे. पापा पूरी तरह जोश और मस्ती मैं आ गये था. उनके गले से अजीब अजीब आवाज़े निकल रही थी. मुझे अब पता चला के चुद रही हूँ. इसे चोदना कहते हैं. मेरी अपनी हालत खराब हो चुकी थी. मेरे मुँह से भी है हाई की और बिल्ली की तरह घुर्रने की आवाज़ निकल रही थी.


"चोद रहा हूँ अपनी जानू को .... लंड जा रहा तेरी चूत मैं जानू ... चुद मेरे लंड से .... चुद अपने पापा के लौरे से .... मज़ा आ रहा से .... टाइट चूत है मेरी बेटी की .... "


"पापा चोदो अपनी बेटी को .... चोदो मुझे ..... फाड़ दो मेरी चूत को ..... उफ़ मरगई पापा ... बोहत सख़्त लंड है आप का ...... उफ़ लंड पेट मैं चला गया मेरे ..... पापा फॅट गई मेरी चूत .... चोदो ..... चोदो ..... उफ़ चुद गई मैं मम्मी. ओ' मम्मी पापा ने चोद दिया मुझे ...... पापा ज़ोर से चोदो .... और ज़ोर से चोदो ..... धक्के लगाओ ज़ोर ज़ोर से ...... मज़ा आ रहा है ..."


अब मेरा जिस्म अकड़ना शुरू हो रहा था. मुझे अपना दिमाग़ घूमता हुआ महसूस हो रहा था. मेरी चूत के सारे मुस्छले अकड़ने लगे थे. और चूत के अंदर पापा का लंड फूलने और पिचकने लगा था.


"उफ़ जानू मेरी मनी निकल रही तेरी चूत मैं." इस के साथ ही पापा का जिस्म बुरी तरह मुझे गौद मैं लिये झटके मारने लगा. मेरी गांद को पूरा नीचे खींच कर अपने लंड के साथ जमा दिया, और नीचे से अपने पूरी तरह मेरी चूत मैं फँसा दिया.


पापा की गरम गरम मनी की पिचकारिया मुझे अपनी चूत की गहराइयों मैं जाती हुई सॉफ महसूस हो रही थी. इस के साथ ही मैं भी ख़तम हो रही थी और मेरी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था.

हम दोनो बाप बेटी का जिसम अब ढीला पड़ता जा रहा था. पसीने मैं हम दोनो नहा चुके थे. मेरी चूत मैं बिल्कुल ठंडी पड़ गई थी. पापा का लंड भी ढीला पड़ने लगा था. मगर अभी तक मेरी चूत मैं ही.


पापा इसी तरह मुझे गौद मैं लिये लिये, सोफे पेर बैठ गये, और मैं अपने पापा के सीने के साथ यूँही चिपकी रही. मेरी पसीने मैं भीगी हुई छातियाँ पापा के बालों भरे सीने से पिसी हुई थी.


पापा का लंड आख़िर नरम हो कर मेरी चूत से बाहर निकल आया, और इसके साथ ही मेरी चूत से पापा की मनी बह बह कर बाहर आने लगी.


सोफा खराब ना हो जाए, इस ख़याल से मैं ने नीचे अपनी चूत पर हाथ रख दिया, और पापा की मनी अपने हाथो मैं ले ले कर अपने पैर ऑर बूब्स पर मलने लगी.




पापा और मैं अब थक चुके थे. हम दोनो बाप बेटी बेड पेर जा कर एक दूसरे की बाँहों मैं लिपट कर लेट गाए. मैं पाप के सीने से बरी तरह चिप टी हुई थी, और पापा के होंठों को किस कर रही थी. मेरे टिट्स पापा के सीने से मिले हुए थे.


"कैसा लगा मेरी जानू को?" पापा ने आहिस्ता से मेरे कान से मुँह लगा कर पूछा.


"आप को कैसा लगा पापा?


"जानू, मुझे टॉ बहुत अछा लगा. तुम्हारी अम्मी के बाद आज तुम ने वो मज़ा दिया हे के बता नहीं सकता. बहुत टाइट चूत हे मेरी नूरी की. आज मुझे पता चला के मेरी बेटी का जिस्म कितना सेक्सी हे. जी चाहता के बस अपनी नूरी जानू को चोदता रहूं." यह कहते हुए पापा ने मेरी गाड़ की दोनो गोलाईयों पर हाथ फेरना शुरू कर दिया.


मैं ने अपनी एक टाँग पापा के दोनो टाँगों के बीच मैं डाल कर पापा को अपने से और क़रीब कर लिया, के पापा का लंड मेरी चूत के उपर रगर खाने लगा.


मैं नंगी थी और पापा भी नंगे थे. हमारे दोनो के नंगे जिस्मों मैं फिर से आग दहकने लगी. मैं तो आज इतनी छोटी सी उमर मैं पहली दफ़ा चुदी थी, इस लिये मुझे बहुत ज़ियादा अब बार बार चुड़वाने की खाविश हो रही थी. मेरा बस नही चल रहा था के मैं पापा के कहूँ के बस वो मुझे चोदते रहाीन.


मैं अपनी गांद को आगे की तरफ पुश कर कर के अपनी चूत को पापा के लंड से रगर रही थी. पापा का लंड फिर से तन कर सख़्त हो गया था.


"जानू फिर से चोदू तुम्हे?" पापा मेरी हरकतों से शायद समझ गये थे.


"हून …" मैं इस हून के साइवा कुछ और ना बोल सकी और शरमा कर मैं ने अपना मुँह पापा के सीने मे छुपा लिया, और एक हाथ से पापा का सख़्त लंड मुथि मैं जकर लिया. पापा का लंड मेरी मुथि मैं आते ही बुरी तरह से मचलने लगा.


"मैं अब अपनी प्यारी सी बेटी को पीछे की तरफ से घोरी बना कर चोदूगा" पापा ने यह कहते हुआी मुझे औंधी हो कर गांद ऊपर उठाने को कहा.


मैं बेड पेर औंधी हो गई और गाड़ बिल्कुल ऊपर उठा दी. पापा ने पीछे से मेरी गोल गोल गांद को अपने दोनो हाथों मैं थाम लिया और बजाए अपना लंड मेरी चूत मैं डालने के, उन्हो ने अपनी ज़बान से मेरी चूत चाटनी श्रु करदी.


पीछे से मेरी चूत चाटने की वजह से मेरा बुरा हाल हो गया और मेरे पूरे जिस्म मैं जैसे करेंट सा दौरने लगा.


"पापा …. मार गई …. उफ़ पापा …. काइया कर रहे हैं मेरी चूत मैं ….. मार जाऊंगी ….. चोदिए मुझे …… चोदिए पापा …… मेरी छूट को छोदान ….. लंड डालैन अपना मेरी छूट मैं …..!!"


पापा ने आख़िर एक हाथ से मेरी गांद पकरी और दूसरे हाथ से अपने लंड की टोपी मेरी चूत के छेड़ से लगाते हुआी कहा: "नूरी …. डालूं लंड तेरी चूत मैं .. .. .. उफ़ नूरी कितनी चिकनी और गुलाबी चूत हे मेरी बेटी की …." पापा मेरी चूत पेर अपना लंड फेर रहे थे. मेरी चूत के दाने से लंड की टोपी जुब टच होती तो मैं बुरी तरह मज़े मैं काँपने लगती .


"छोदिए ना पापा …. डालै ना अपना लंड अपनी बेटी की चूत मैं …… मार जाऊंगी ….. पूरी ताक़त से चोदै मुझे ….. आग लग रही हे मेरी चूत मैं पापा …."


पापा ने फिर एक ही धक्के मैं अपना पूरा लंड मेरी चूत मैं डाल दिया और मेरी गोल गोल गोरी गोरी गांद को पाकर कर अपने लंड को तेज़ी से मेरी चूत के अंदर बाहर करते रहे. पापा के लौरे का एक एक झटका मुझे जन्नत की सैर करवा रहा था. मैं अपनी गांद को पापा के हर झटके पेर पीछे पापा के लंड पेर मार रही थी. पापा ने मेरी गांद पेर से हाथ हटा कर मेरी टिट्स को अपनी मुति मैं कस कर पाकर मेरी चूत को चोदना जारी रखा.


मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी. मैं अपनी आंखें बन्द किये चुदाई का भरपूर मज़ा ले रही थी.


"उफ़ जानू तेरी चूत …. मज़ा आ रहा मुझे अपनी बेटी को चोदने का ….. नूरी चुद मेरे लंड से …. चुद मेरे लंड से ….. नूरी तेरी मया की चूत को चोदु …. उफ़ मेरी बेटी की चिकनी चिकनी टाइट चूत को चोद रहा हूँ."


इधर मेरा भी बुरा हाल था. "पापा चोदिये …. चोदिये …. चोद मुझे …. ज़ोर ज़ोर से …. चोद …. चोदो ….. फार दो मेरी चूत को …. उफ़ काइया करूँ ….. मार गई …. ख़तम होने वाली हून पापा …. छूटने वाली हून …."


मेरी चूत ने पापा के लंड को ग्रिप कर लिया. एक दूं पापा ज़ोर से चीखे. "मनी निकल रही हे मेरी ….. अपनी बेटी की चूत मैं …"


एक दूं से मुझे पापा के लंड से मनी का तेज़ गरम गरम फवर अपनी चूत मैं निकलता हस महसूस हुआ. और इधर मैं भी छूटने लगी. पापा और मेरा जिसम साथ साथ झटके मार रहा था.


पापा की मनी निकलने से उनका लंड ढीला परने लगा और गहरी गहरी साँसें लेते हुआी पापा मेरे ऊपर मुझे अपने बॉडी के नीचे दबाते हुआी लेट गाए. मेरी साँसाइन भी तेज़ तेज़ चल रही तीन.


"उफ़ … मज़ा … आ गया …. नूरी."


हम दोनो कुछ देर योही लेते रहे. फिट सीधे हो कर एक दूसरे की बाहों मैं लिपट कर सो गाए. नींद आने से पहले जो चीज़ मुझे महसूस हुई, वो पापा की मनी थी, जो मेरी चूत से आहिस्ता आहिस्ता बाहर मेरी राणो पेर निकल कर बह रही थी. मैं ने हाथ नीचे ले जा कर पापा की बहती हुई मनी अपनी चूत और राणो पेर मालनी शुरू की, और फिर पता नहीं कब सो गई.


सुबा जुब मेरी आंक खुली तो अछी ख़ासी रोशनी हो चुकी थी. आँख खुली तो देखा के मैं ने पापा का तना हुआ लंड अपने हाथ मैं जाकरा हुआ था. मेरी मुथि मैं से पापा के लंड की टोपी फूल कर पर्पल कलर की हो रही थी और चमक रही थी. ट्रॅन्स्परेंट कलर का पानी पापा के लंड के छेद से निकल रहा था. मैं ने अपनी उंगली से पानी को छुआ टॉ लेसदार पानी था, चिकना चिकना.


पापा भी उठ गाए और उठे ही मुझे अपने जिसम से चिपेट कर किस करने लगे.


"पापा मुझे पी आ रही हे"


"मुझे भी आ रही हे जानू"


चलो आओ मेरे साथ बाथरूम मैं.


पापा से चुड़वाने वाली बात और थी. मगर यह सोच कर के मैं पापा के साथ बाथरूम मैं जा कर कैसे पापा के सामने कमोड पेर बैठ कर पी करूँगी, और पापा मेरे सामने पी करेंगे, मुझे बहुत शरम आई.


"नहीं पापा, मुझे आप के सामने पी करते शरम आए गी"


"जानू, जुब तुम अपने पापा से चुदवा चुकी हो, हम दोनो पूरी रात से नूँगे एक दूसरे के सामने हैं, टॉ पी करने मैं काइया है …. आओ … चलो मेरे साथ …"


पापा यह कहते हुए मुझे बेड से उतार कर मेरी कमर मैं हाथ डाल कर मुझे बाथरूम मैं ले गए.


बातरूम के अंदर जाते ही पापा ने मुझे अपने से लिपटा लिया. बेड पेर तो मुझे अपनी हाइट का अंदाज़ा नही हुआ , मगर खरे हुए हालत मैं पता चला के मेरा सिर पापा के सीने तक ही पहुच पाया था. अभी सिर्फ़ मैं 13 साल की थी. हां थोरी सी मोटी थी. गोरा रंग था मेरा, जिस्म मेरा भरा भरा सा था और गांद मेरी खास तौर से बहुत मोटी और बाहर की तरफ निकली हुई थी. यह सब मैं इस लिये बता रहीं हूँ के मुझे पापा से लिपट कर अपने सरपे का एहसास हुआ. खरे होने की वजह से पापा का मुरझाया हुआ लंड मेरी टिट्स को छू रहा था.


पापा मुझे झुक कर प्यार कर रहे थे और मेरे सारे जिसम और मेरी गांद और चूत पेर हाथ फेर रहे थे.


"उफ़ जानू कितना प्यारा और सेक्सी जिसम हे मेरी बेटी का…. क्या करूँ तेरे साथ जानू ….. बिल्कुल मुलतानी चिकनी मिट्टी की तरह जिसम हे तेरा जानू ….. "


इस के साथ ही पापा ने जब मेरी चूत के दाने (क्लिट) पेर उंगली फेरी तो मेरे सारे जिसम मैं सनसनी दौर गई. पेशाब मुझे भोथ ज़ोर से आ रहा था. पिछळी शाम से मैं ने पेशाब नही काइया था.


"पापा मुझे बहुत ज़ोर से पी आ रही हे, निकल जाई गी"