Monday, January 22, 2018

भाबी और भाई का नौकर

हैल्लो दोस्तों.. मेरा नाम मनी है और में पंजाब का रहने वाला हूँ antarvasna antarvassna Indian Sex Kamukta Chudai Hindi Sex Stories मेरी उम्र 20 साल है। दोस्तों.. मुझे सेक्सी कहानियाँ पढ़ना बहुत अच्छा लगता है और में इस साईट पर काफी समय से सेक्सी कहानियाँ पढ़ रहा हूँ। में इस साईट का बहुत बड़ा फेन हूँ। आज में जो कहानी आप सभी को सुनाने जा रहा हूँ.. वो मेरे भैया और भाभी की है जो कि मेरे मामाजी के लड़के हैं। यह बात आज से लगभग दो साल पहले की है। में अपनी गर्मी की छुट्टियों में अपने मामा जी के घर गया था। वहाँ पर मामाजी, मामी और भैया, भाभी रहते है।


भाभी के बारे में क्या बताऊँ? में तो शुरू से ही उनके साथ सेक्स करना चाहता था.. क्या फिगर है भाभी का? एकदम सेक्सी, पतली कमर, गदराया हुआ बदन.. उनकी हाईट 5.7 इंच है और उनके बड़े बड़े बूब्स का साइज़ 36 है और उनकी गांड 34 इंच की होगी और मुझे भाभी की गांड सबसे प्यारी लगती थी और भाभी भी अपने शरीर की बहुत देख रेख करती थी.. मुझे भाभी का शरीर एकदम सेक्सी लगता था।


दोस्तों.. अब में सीधे स्टोरी पर आता हूँ.. एक दिन में भाभी के रूम में बैठा टीवी देख रहा था और भाभी नहा रही थी और मेरी मामीजी ऊपर वाले कमरे में बैठी थी। तभी टीवी देखते देखते मेरी नज़र भाभी के सेंडल पर पड़ी और में सीधा ज़मीन पर लेटकर भाभी के सेंडल और हील्स के तलवे चाटने लग गया और में उनको सूंघ रहा था सच में मुझे बाड़ा मज़ा आया और करीब 10-15 मिनट तक में तलवे ही चाटता रहा और मुझे यह भी पता नहीं चला की भाभी कब नहाकर रूम में आ गई और उन्होंने मुझे ऐसा करते हुए देख लिया.. तो वो ज़ोर से चिल्लाई कि क्या कर रहे हो? में बहुत डर गया और में एक दो मिनट तक कुछ नहीं बोला तो भाभी ने फिर से बोला कि कुछ बोलोगे या नहीं?


में चुप रहा और फिर भाभी ने कहा की रूको में मम्मा को बताती हूँ। यह सुनकर में रोने लग गया और मैंने भाभी के पैर पकड़ लिए। फिर उनसे सॉरी कहने लगा.. लेकिन भाभी मेरी एक भी नहीं सुन रही थी। मैंने भाभी के पैर नहीं छोड़े तो कुछ देर बाद भाभी ने बोला कि चलो कोई बात नहीं में किसी को कुछ नहीं बताती.. लेकिन जो में कहूंगी वो तुम्हें करना होगा? मैंने एकदम से हाँ कर दी। भाभी ने कहा कि तुम यह तलवे अच्छी तरह से चाटो और इन पर जो भी गंदगी लगी है उसे भी साफ करो।


तभी में भाभी के मुहं की तरफ देखने लगा तो उन्होंने मुझे इशारा किया और बोला कि जो मैंने कहा वो जल्दी से करो। मैंने कहा कि ठीक है और में अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रहा था.. क्योंकि में अपनी भाभी का नौकर बन रहा था और वो मेरी मालकिन। मैंने सेंडल चाटकर साफ कर दिए तो भाभी ने कहा कि में अपनी अंडरवियर में जमीन पर लेट जाऊ। तो में लेट गया और भाभी ने अपनी सॅंडल पहनी और मेरे ऊपर खड़ी हो गई और मेरे खड़े लंड को अपने पैरों से मसलने लगी.. उस टाईम मेरी हालत बहुत खराब हो गई थी और में सिर्फ़ आहाह्ह्ह अहाह्ह्ह कर रहा था। फिर भाभी ने कहा कि खड़े हो कर मेरे पैर चाटो.. तो में अच्छी तरह से उनके पैर चाटने लगा और अब मेरी हिम्मत भी थोड़ी थोड़ी बढ़ रही थी। मैंने भाभी को कहा कि क्या में आपकी चूत भी चाट सकता हूँ? उन्होंने कहा कि कुत्ते कमीने क्या तू अपनी भाभी से ऐसे बात करेगा? तो मैंने फिर से सॉरी कहा..


तभी उन्होंने कहा कि आजा में तुझे चटवाती हूँ.. तू अब नीचे लेट जा। तो में नीचे जमीन पर लेट गया.. भाभी ने अपनी सलवार और पेंटी को नीचे सरकाया.. वाह क्या नज़ारा था? गोरी मोटी मोटी जांघे और उन पर एक भी बाल नहीं था। में तो जैसे जन्नत के नज़ारे ले रहा था और उनकी चूत पानी से गीली हो चुकी थी और चूत पर हल्के हल्के बाल थे। भाभी अभी मेरे सामने नंगी खड़ी थी.. में भाभी से कहने लगा कि भाभी प्लीज़ मुझे अपनी चूत टेस्ट करने दो.. तो उन्होंने बोला कि कुत्ते और भीख माँग में तुझे इतनी आसानी से चूत चाटने को नहीं दूंगी.. फिर में और भीख माँगने लगा.. उनके पैर चाटने लगा तो भाभी ने कहा कि चल ठीक है और फिर भाभी सीधे मेरे मुहं पर आ कर बैठ गई और चूत की जगह उन्होंने अपनी गांड मेरे मुहं पर रख दी.. मुझे बहुत अच्छा लग रहा था और में चाटने लग गया और भाभी आवाज़े निकालने लगी उफफफफफ्फ़ कुत्ते अच्छी तरह से चाट आहा हम्म अहहाा चाट और ज़ोर से चाट.. मैंने भी अपनी जीभ उनकी गांड के छेद में डाल दी और ज़ोर ज़ोर से चाटने लगा.. वो अब सातवें आसमान पर थी।


वो मुझे बहुत गालियाँ दे रही थी और अपनी चूत में उंगली अंदर बाहर कर रही थी। 15 मिनट चाटने के बाद वो झड़ गई और अपना सारा पानी मेरे ऊपर गिरा दिया मैंने उनका सारा पानी पी लिया और फिर वो बोली कि चल कुत्ते आज के लिए बहुत हुआ और आज रात को 11 बजे मेरे रूम में आ जाना। मैंने कहा कि रात को तो रूम पर भैया भी मौजूद रहेंगे। उन्होंने कहा की तू टेंशन मत ले.. मैंने तुझसे जितना कहा है उतना कर। मैंने कहा कि ठीक है और भाभी की चूत को चाट चाटकर अच्छी तरह से साफ करके बाहर आ गया। फिर में बड़ी बेसब्री से रात के होने का इंतज़ार कर रहा था और जैसे ही रात के 11 बजे में उनके रूम में गया और जैसे ही मैंने रूम का दरवाजा खटखटाया तो अंदर से भाभी की आवाज आई कि अंदर चले आओ.. दरवाजा खुला है। मैंने दरवाजा खोला और जैसे ही अंदर जाकर देखा तो भाभी बेड पर लेटी हुई थी और भैया, भाभी की चूत को कुत्ते की तरह अपनी जीभ से चाट रहे थे।


फिर में रूम से बाहर आने लगा.. तो भाभी ने बोला कि अबे कुत्ते कहाँ चला? इधर आ जा तो में बहुत दंग रह गया और फिर भैया मुझे देखकर हंस रहे थे और में उनके पास गया और भैया, भाभी को देखने लगा। फिर भाभी बोली कि कुत्ते क्या वहाँ पर खड़ा ही रहेगा या कुछ काम भी करेगा? तो मैंने कहा कि जी हाँ.. जो आप कहो तो उन्होंने कहा कि चल अब जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार। में भैया के कारण थोड़ा शरमा रहा था तो भैया ने भी बोला कि चल कोई बात नहीं उतार दे और जैसा तेरी भाभी बोल रही है.. तू वैसे ही कर और देख आज तुझे हम कैसे मज़े देते है। तभी में यह बात सुनकर दंग रह गया और अपने कपड़े उतार कर एक साईड पर खड़ा हो गया तो भाभी ने मेरा खड़ा लंड देखा.. लंड पूरा तनकर खड़ा था। भाभी ने भैया से बोला कि देखो तुमसे बड़ा लंड तो इसका है..


तो भैया ने बोला कि देर किस बात की है ले लो इसका भी लंड और दिखा दो इसको भी अपने नज़ारे। में उनकी यह बात सुनकर हैरान रह गया और वो दोंनो ऐसे बोलते हुए हंसने लगे। फिर भाभी ने कहा कि ठीक है.. लेकिन इतनी जल्दी नहीं और उन्होंने मुझसे कहा कि में भैया की गांड को चाटू। मैंने उनसे साफ मना कर दिया तो भाभी ने सीधे मेरी गांड पर ज़ोर से एक लात मारी और मुझे गलियाँ देने लगी। तभी में अपने आप को बिल्कुल मजबूर महसूस कर रहा था। मैंने कहा कि ठीक है और फिर में अपने भैया की गांड चाटने लगा और धीरे धीरे भैया भी अपनी गांड उठा उठाकर चटवा रहे थे और फिर कुछ समय बाद मुझे भी मज़ा आने लगा। तभी भाभी ने कहा कि उन्हें मेरा लंड टेस्ट करना है.. तो हम 69 पोज़िशन में आ गये में भाभी की चूत चाट रहा था और भाभी मेरा लंड और भैया बीच बीच में कभी भाभी के बूब्स चूस रहे थे।


जैसे ही भाभी ने लंड मुहं में डाला वाह वो क्या अहसास था और वो लंड को काट भी रही थी.. तो मेरी चीख निकल रही थी और फिर 5 मिनट के बाद में झड़ गया और भाभी ने मेरा सारा वीर्य पी लिया और फिर से मेरा लंड मुहं में डालकर चूसने लगी जैसे ही लंड फिर से खड़ा हुआ उन्होंने कहा कि चल अब यह लंड मेरी चूत में डाल। मैंने कहा कि ठीक है और मैंने एक झटका मारा और अपना पूरा लंड भाभी की चूत में डाल दिया। तभी भाभी बहुत ज़ोर से चिल्लाई और बोली कि हरामी थोड़ा आराम से कर.. क्या मुझे मार ही देगा? तू रुक तुझे तो में अभी बताती हूँ और भाभी ने भैया को कहा कि वो अपना लंड मेरे मुहं में डाल दे।


मैंने अपना मुहं खोलने से मना कर दिया.. लेकिन भाभी और भैया ने ज़बरदस्ती मेरे मुहं में लंड डाल दिया और भाभी मेरे लंड पर ऊपर नीचे उछल रही थी और भैया ने मेरे सर के बालों को पकड़कर पूरा लंड मेरे मुहं में अंदर तक डाल दिया.. जिससे मेरी साँसे रुक गई.. लेकिन कुछ टाईम बाद जाकर थोड़ा आराम हुआ और भैया का लंड अभी में अच्छी तरह से चूस रहा था और उधर भाभी अपने जलवे दिखा रही थी।


फिर जैसे ही लंड अंदर जाकर चूत की दीवार से टकराता तो भाभी लंड को अंदर ही जकड़ लेती भाभी बहुत बड़ी चुदक्कड़ है.. भाभी आवाज़े निकाल रही थी और मुझे गलियाँ भी दे रही थी। मैंने भाभी का ऐसा रूप पहली बार देखा था वो बोल रही थी और ज़ोर से चोद कुत्ते हरामी मदारचोद भोसड़ा बना दे मेरी चूत का और में उनको फुल स्पीड से चोद रहा था। उधर भैया ने 5 मिनट के बाद सारा वीर्य मेरे मुहं में डाल दिया.. तो मुझे बहुत गंदा लगा।


में जैसे ही थूकने लगा तो भाभी ने मुझे किस करना शुरू कर दिया और बड़े ही आराम से सारा वीर्य मुझे पिला दिया.. लेकिन मुझे उस टाईम बहुत अच्छा लगा और फिर हम दोनों ने 5 मिनट तक किस किया और उधर मेरा भी वीर्य निकलने वाला था और भाभी भी दो बार झड़ गई थी। मैंने भाभी को पूछा कि कहाँ गिराऊँ? तो उन्होंने बोला कि मेरी चूत के अंदर ही डाल दे.. तो में अपना सारा वीर्य उनकी चूत के अंदर ही डाल दिया और भैया हम दोनों को देखकर अपना लंड मसल रहे थे।


फिर भाभी जैसे ही उठी तो बोली कि चल अब मेरी चूत चाट चाटकर साफ कर में पहली बार अपना ही वीर्य टेस्ट कर रहा था। क्या चूत थी भाभी की एकदम मस्त और में चाट ही रहा था की पीछे से भैया ने अपना लंड मेरी गांड पर रख दिया और जैसे ही उनके लंड का टोपा मेरी गांड के अंदर गया तो मेरी चीख निकल गई.. तो भाभी ने मेरे मुहं पर हाथ रख दिया और मेरी आँखो से आंसू भी निकल गये। लेकिन वो दोंनो नहीं हटे और मेरी गांड मारते गये और कुछ टाईम बाद भाभी मेरे नीचे आ गई और मेरा लंड चूसने लगी और जैसे ही मेरा लंड फिर से तनकर खड़ा हो गया तो भाभी ने फिर से उसे अपनी चूत में डाल लिया और अब मुझमें बिल्कुल भी जान नहीं थी। जो भी कर रही थी वो भाभी ही कर रही थी वो अपनी गांड को उठा उठाकर मेरे लंड को अपनी चूत में आगे पीछे करने लगी।


उधर भैया ने करीब 15 मिनट तक मेरी गांड मारी और अपना सारा वीर्य मेरी गांड में छोड़ दिया और भाभी अभी भी चूत में लंड अंदर बाहर कर रही थी। फिर कुछ देर बाद में भी झड़ गया.. लेकिन भाभी ने लंड को अपनी चूत से बाहर नहीं निकलने दिया और अंदर ही रहने दिया और जब मेरा सारा वीर्य भाभी की चूत के अंदर चला गया और लंड धीरे धीरे सिकुड़ कर अपने आप ही बाहर निकलने लगा।


तभी भैया आकर भाभी की चूत चाटने लगे और कुछ टाईम बाद भाभी खड़ी हुई और मेरे मुहं पर सूसू कर दिया में उनका सारा पेशाब पी गया। दोस्तों वो बहुत नमकीन था.. लेकिन मेरी चुदाई बहुत हॉट और स्वीट थी। फिर उस रात के बाद मैंने, भैया और भाभी ने लगातार तीन चार दिन तक सेक्स किया। फिर जब मुझे दिन में मौका मिलता तो में भाभी के कमरे में चला जाता और उनकी चूत चाटता और चुदाई भी करता.. उनके बूब्स चूसता और रात को हम तीनों एक साथ सेक्स करते थे। में जब तक वहाँ पर रहा हमारी चुदाई लगातार चलती रही भैया और भाभी ने मुझे चुदाई करना और गांड मरवाना सिखा दिया था.. वो मेरे काम से खुश थे और में उनके काम से।


Saturday, January 20, 2018

पापा ने अपने लंड पर बैठ के सेक्सी मजा दिया

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम निशा है और में दिल्ली की रहने वाली हूँ। मेरे घर में मेरे मम्मी, पापा और मेरे दादा, दादी है। में मेरे बाप की एक ही औलाद हूँ। मुझे मेरे माँ बाप ने बड़े प्यार से बड़ा किया है। आज मेरी उम्र 21 साल की है, लेकिन मुझे देखकर कोई कह नहीं सकता कि मेरी उम्र इतनी कम होगी, क्योंकि मेरा बदन बिल्कुल एक 24 साल की लड़की की तरह हो चुका है, मेरा फिगर साईज 34-28-36 है और इसकी वजह में खुद ही हूँ, जो 18 साल की उम्र से ही सेक्स की तरफ ज़्यादा ध्यान देने लगी थी और लगभग तब से में चूत में उंगली करने लग गयी थी।


मेरे घर में 5 रूम है, एक में मेरे मम्मी पापा और दूसरे में मेरे दादा दादी, जो अब 60 से ज्यादा उम्र के है और ज़्यादातर अपने कमरे में ही लेटे रहते है और तीसरे में में खुद रहती हूँ और बाकि के दो कमरे हम अलग-अलग कामों के लिए उपयोग में लेते है। मेरे पापा की उम्र 38 साल की है। मेरी माँ वैसे तो बहुत खूबसूरत है, लेकिन बहुत ही पुराने विचारो वाली एक साधारण औरत है, जो अपना ज़्यादातर वक़्त पूजा पाठ या अपने सास ससुर की सेवा में और घर के काम काज में गुजारती है। मेरे पापा जो एक बिजनसमैन है और अपना खुद का बिजनेस चलाते है। हम बहुत अमीर तो नहीं है, लेकिन हमारे घर में किसी चीज की कोई कमी नहीं है। मेरे पापा भी बहुत हैंडसम है, लेकिन मेरी माँ तो उन्हें टाईम ही नहीं दे पाती है, सिर्फ़ रात में जब उनके सोने का वक़्त होता है जब ही उनके पास जाती है।


यह बात तब की है, जब मेरी उम्र 18 साल की थी। एक रात हम सब खाना खाकर सोने के लिए अपने अपने रूम में चले गये थे कि तभी अचानक से मुझे लगा कि मेरे मम्मी पापा के रूम से लड़ने की आवाज़े आ रही है। मम्मी पापा का रूम मेरे रूम से ही लगा हुआ था, मुझे ज़िंदगी में पहली बार लगा था कि मम्मी पापा की लड़ाई हो रही है इसलिए में यह जानना चाहती थी कि वो लड़ क्यों रहे है? तो पहले तो मैंने सोचा कि में मम्मी से जाकर पूंछू, लेकिन फिर बाद में सोचा कि वो लोग मेरे सामने शर्मिंदा हो जाएगे इसलिए मैंने पूछना उचित नहीं समझा, लेकिन फिर भी मेरे मन में वजह जानने की इच्छा तेज होती गयी और जब मुझसे नहीं रहा गया तो मैंने उठकर देखने की कोशिश की। मेरे रूम में एक खिड़की थी, जो उनके कमरे में खुलती थी, वो खिड़की बहुत पुरानी तो नहीं थी, लेकिन उसमें 2-3 जगह छेद थे। फिर मैंने अपने रूम की लाईट ऑफ की और उस छेद में आँख लगा दी। अब अंदर का नज़ारा देखकर मेरे बदन में करंट सा दौड़ गया था।


अब मेरी मम्मी जो कि सिर्फ़ ब्रा और पेटीकोट में थी और बेड पर बैठी थी और मेरे पापा सिर्फ़ अपनी वी-शेप अंडरवेयर में खड़े थे और बार-बार मम्मी को अपनी ब्रा उतारने के लिए कह रहे थे और मेरी मम्मी उन्हें बार-बार मना कर रही थी। फिर मैंने देखा कि मेरे पापा की टाँगों के बीच में जहाँ मेरी पेशाब करने की जगह है, वहाँ कुछ फूला हुआ है। अब मेरी नजर तो बस वही टिक गयी थी और में चाहकर भी अपनी नजर हटा नहीं पा रही थी। अब वो लोग कुछ बात कर रहे थे, लेकिन मेरा ध्यान तो सिर्फ पापा की टाँगों के बीच में ही था और उनकी बातें सुनने का ध्यान भी नहीं था। अब मेरा दिल ज़ोर- ज़ोर से धड़क रहा था और मेरा बदन बिल्कुल अकड़ गया था और इसके साथ ही मुझ पर एक और बिजली गिरी और फिर मेरे पापा ने झटके से अपना अंडरवेयर भी उतार दिया। ओह गॉड मेरी तो जैसे साँसे ही रुक गयी थी। मेरे पापा की टाँगों के बीच में एक लकड़ी के डंडे की तरह कोई चीज लटकी हुई थी, जो कि मेरे हिसाब से 8 इंच लंबी और 3 इंच मोटी थी, उस चीज को क्या कहते है? मुझे उस वक़्त पता नहीं था।


फिर मेरी मम्मी उस चीज को देखकर पहले तो गुस्सा हुई और फिर शर्म से अपनी नजरे झुका ली। अब उन्हें भी मस्ती आने लगी थी और फिर उन्होंने इशारे से पापा को अपने पास बुलाया और उनके उस हथियार को प्यार से सहलाने लगी थी। फिर मम्मी ने अपनी ब्रा उतारी और अपने पेटीकोट का नाड़ा खोला और फिर बिल्कुल नंगी होकर सीधी लेट गयी और अपनी टांगे खोलकर पापा को अपनी चूत दिखाई और इशारे से उन्हें पास बुलाने लगी थी। फिर मेरे पापा कुछ देर तक तो गुस्से में सोचते रहे और फिर जैसे अपना मन मारकर उनके ऊपर उल्टे लेट गये और अपने एक हाथ से अपना लंड पकड़कर मम्मी की चूत में डाला और हिलते हुए मम्मी को किस करने लगे थे और फिर लगभग 10 मिनट तक हिलने के बाद वो शांत हो गये और ऐसे ही पड़े रहे।


फिर थोड़ी देर के बाद मम्मी ने उन्हें अपने ऊपर से हटाया और अपने कपड़े पहने और लाईट बंद करके सोने के लिए लेट गयी। अब कमरे में बिल्कुल अंधेरा होने की वजह से मुझे कुछ नहीं दिख रहा था, तो तब मैंने भी जाकर लेटने की सोची और फिर में भी अपने बिस्तर पर आकर लेट गयी, लेकिन अब मेरी आँखों के सामने तो मम्मी पापा की पिक्चर चल रही थी और पापा का वो भयानक हथियार पता नहीं मुझे क्यों बहुत अच्छा लग रहा था? अब मेरा दिल कर रहा था कि में भी उनके हथियार अपने हाथ में लेकर देखूं। उस रात मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही थी। फिर मैंने उस रात पहली बार हस्तमैथुन किया। अब मेरे ख्यालों में और कोई नहीं बल्कि मेरे पापा ही थे। फिर जब मेरी चूत का रस निकला, तो तब में इतनी थक चुकी थी कि कब मेरी आँख लग गयी? मुझे पता ही नहीं चला। फिर सुबह मम्मी ने जब आवाज लगाई तो मेरी आँख खुली। फिर मम्मी बोली कि बेटा सुबह के 7 बज रहे है, स्कूल नहीं जाना है क्या? तो तब में उठकर सीधी बाथरूम में गयी और नहाने के लिए अपने कपड़े उतारे।


फिर तब मैंने देखा कि मेरी पेंटी पर मेरी चूत के रस का धब्बा अलग ही दिख रहा है। अब मेरी आँखों के सामने फिर से वही नज़ारा आ गया था। अब मुझे फिर से मस्ती आने लगी थी तो मैंने फिर से अपनी चूत में उंगली करनी चालू कर दी और तब तक करती रही जब तक कि में झड़ नहीं गयी। दोस्तों मुझे इतना मज़ा आया था कि में यह सोचने लगी कि जब उंगली करने में ही इतना मज़ा आता है तो सेक्स में कितना मज़ा आता होगा? और फिर में अपने पापा के साथ ही यह मज़ा लेने की सोचने लगी और सोचने लगी कि कैसे पापा के साथ मज़ा लिया जाए? खैर जैसे तैसे करके में स्कूल जाने के लिए तैयार हुई और ड्रेस पहनकर बाहर आई तो नाश्ते की टेबल पर मेरा पापा से सामना हुआ, में रोज सुबह पापा को गुड मॉर्निंग किस करके विश करती थी। तो तब मैंने उस दिन भी पापा को किस करके ही विश किया, लेकिन इस बार मैंने कुछ ज़्यादा ही गहरा किस किया और थोड़ा अपनी जीभ से उनके गाल को थोड़ा चाट लिया, जिससे मेरे पापा पर कुछ असर तो हुआ, लेकिन उन्होंने मेरे सामने ज़ाहिर नहीं किया था।


अब में उनके ठीक सामने जाकर कुर्सी पर बैठकर नाश्ता करने लगी थी और फिर नाश्ता करने के बाद में स्कूल की बस पकड़ने के लिए बाहर जाने लगी, लेकिन मेरा मन पापा को छोड़कर जाने का नहीं हो रहा था, तो तब में बाहर तो गयी, लेकिन कुछ देर के बाद वापस आकर मैंने बहाना बनाया की मेरी बस निकल चुकी है। अब ऐसी स्थिति में पापा मुझे स्कूल छोड़कर आया करते थे, तो तब मम्मी बोली कि जा पापा से कह दे, वो तुझे स्कूल छोड़ आएँगे। फिर में खुशी-खुशी पापा के कमरे में गयी। अब पापा सिर्फ़ अपने पजामे में थे। फिर मैंने पापा से कहा तो वो मुझे स्कूल छोड़ने के लिए राज़ी हो गये। अब पापा अपनी पेंट पहनने लगे थे। फिर मैंने उनके हाथ से पेंट लेते हुए कहा कि पापा पजामा ही रहने दीजिए, में लेट हो रही हूँ। तो तब पापा बोले कि ठीक है, में टी-शर्ट तो पहन लूँ, तू मेरा बाहर इन्तजार कर, तो में बाहर आकर इन्तजार करने लगी।


पापा मुझे ज़्यादातर स्कूल कार में ही छोड़ते थे, लेकिन उस दिन मेरे कहने पर उन्होंने मुझे हमारी एक्टिवा स्कूटर पर स्कूल छोड़ने के लिए गये। दोस्तों यहाँ तक तो मेरा प्लान सफल रहा था, लेकिन आगे के प्लान में थोड़ा खतरा था और मुझे यकीन नहीं था कि वो सफल हो जाएगा। फिर में उनके पीछे बैठ गयी और फिर हम स्कूल की तरफ चल दिए। मेरा स्कूल घर से लगभग 10 किलोमीटर दूर था, रास्ता लंबा था और सुबह का वक़्त था, तो रोड सुनसान थी। फिर जब हम घर से 2 किलोमीटर दूर आ गये, तो तब मैंने पापा से कहा कि गाड़ी में चलाऊँगी। तो तब पापा बोले कि बेटी तुझसे गाड़ी नहीं चलेगी, तो में तो ज़िद्द करने लगी। तो तब पापा परेशान होकर बोले कि ठीक है, लेकिन हैंडल में ही पकडूँगा। अब मुझे मेरा प्लान कामयाब होता दिख रहा था।


फिर तब मैंने कहा कि ठीक है और पापा ने गाड़ी साईड में रोककर मुझे अपने आगे बैठाया और मेरी बगल में से अपने दोनों हाथ डालकर हैंडल पकड़ा और धीरे-धीरे चलाने लगे। लेकिन अब गाड़ी चलाने में किसका ध्यान था? अब मेरा ध्यान तो पापा के पजामे में लटके उनके लंड पर था। तो तभी गाड़ी जैसे ही खड्डे में गयी, तो मैंने हिलने का बहाना करके उनका लंड ठीक मेरी गांड के नीचे दबा लिया। अब पापा कुछ अच्छा महसूस नहीं कर रहे थे। अब में अपनी गांड को उनके लंड पर रगड़ने लगी थी। अब गर्मी पाकर उनका लंड धीरे-धीरे खड़ा होने लगा था, जिससे मुझे भी मस्ती आने लगी थी। अब पापा को भी मज़ा आ रहा था और फिर इस तरह मस्ती करते हुए में स्कूल पहुँच गयी। फिर पापा को जाते वक़्त मैंने एक बार फिर से किस किया। अब पापा शायद मुझे लेकर कुछ परेशान हो गये थे और में मेरी तो पूछो मत, मेरी हालत तो इतना करने में ही बहुत खराब हो गयी थी और मेरी पेंटी इतनी गीली हो चुकी थी कि मुझे लग रहा था मेरी स्कर्ट खराब ना हो जाए। दोस्तों ये कहानी आप


फिर पूरे दिन स्कूल में मेरे दिमाग में पापा का लंड ही घूमता रहा और अब मेरा दिल कर रहा था कि में पापा के लंड पर ही बैठी रहूँ। अब पता नहीं मुझे क्या हो गया था? ऐसा कौन सा वासना का तूफान मेरे अंदर था कि में पापा से चुदने के लिए ही सोचने लगी थी। खैर आगे बढ़ते है, फिर में चुदाई की इच्छा और गीली पेंटी लेकर घर पहुँची। अब उस वक़्त लगभग 3 बज रहे थे। अब घर में दादा, दादी के अलावा कोई नहीं था, मम्मी कहीं गयी हुई थी और पापा अपने ऑफिस में थे। ख़ैर फिर में बाथरूम में गयी और गंदे कपड़ो में से पापा की अंडरवेयर ढूंढकर अपनी चूत पर रगड़ते हुए हस्तमैथुन किया। अब मुझे बहुत मज़ा आया था और फिर में सो गयी। फिर मेरी आँख खुली तो शाम के 5 बज रहे थे। फिर मैंने नहा धोकर कपड़े पहने और मैंने कपड़े भी उस दिन कुछ सेक्सी दिखने वाले पहने थे, मैंने एक शॉर्ट स्कर्ट और फिटिंग टी-शर्ट पहनी थी। अब पापा के आने का टाईम हो गया था, लेकिन मम्मी का कोई पता नहीं था।


फिर शाम के 6 बजे पापा ने घंटी बजाई तो में दौड़ती हुई गयी और दरवाजा खोला। फिर पापा मुझे देखकर थोड़े मुस्कुराए और मुझे गले लगाकर मेरे गालों पर किस करते हुए बोले कि बेटा आज तो बहुत स्मार्ट लग रही हो। अब मुझे इतनी खुशी हुई थी कि में पापा को फंसाने में धीरे-धीरे सफल होती जा रही थी। फिर अंदर आकर पापा ने चाय का ऑर्डर कर दिया तो में किचन में जाकर चाय बनाने लगी। फिर पापा भी फ्रेश होकर किचन में आ गये और इधर उधर की बातें करने लगे थे। फिर थोड़ी देर में पापा मेरी गोरी जांघो देखकर गर्म हो गये और मेरे पीछे खड़े होकर अपना लंड मेरी गांड से सटाने की कोशिश करने लगे थे। तब में भी अपनी गांड को उनके लंड पर रगड़ने लगी। अब मुझे तो ऐसा लग रहा था कि जैसे में जन्नत में हूँ और बस ऐसे ही खड़ी रहूँ।


ख़ैर अब चाय बन चुकी थी और फिर मैंने पापा से डाइनिंग रूम में जाकर बैठने को कहा और चाय वहाँ सर्व करके बाथरूम में जाकर फिर से उंगली करने लगी थी। फिर में झड़ने के बाद बाहर आई, तो तब तक मम्मी भी आ चुकी थी। मुझे मम्मी पर बहुत गुस्सा आया, क्योंकि मुझे पापा से अभी और मज़ा लेना था और मम्मी के सामने में कुछ नहीं कर सकती थी। अब पापा भी मम्मी के आने से थोड़े दुखी हो गये थे, क्योंकि ना तो वो कुछ करती थी और ना ही उन्हें कुछ करने देती थी। अब पापा मुझे देखकर बार-बार अपना लंड पजामे के ऊपर से ही सहला रहे थे और मुझे भी उन्हें सताने में बहुत मज़ा मिल रहा था। फिर खाना खाने के बाद पापा मुझसे बोले कि बेटी चल थोड़ा घूमकर आते है और मुझे लेकर घर के बाहर आ गये। फिर बाहर आकर उनका मूड चेंज हुआ और मुझसे बोले कि चल बेटा पिक्चर देखने चलते है। तो तब मुझे पापा पर इतना प्यार आया कि पापा मेरे साथ अकेला रहने की कितनी कोशिश कर रहे है? खैर फिर हम एक्टिवा पर सवार होकर एक सिनिमा में पहुँच गये और रास्ते में ही मम्मी को फोन कर दिया कि हम पिक्चर देखने जा रहे है। जब सिनिमा में कोई पुरानी मूवी लगी होने की वजह से ज़्यादा भीड़ नहीं थी, पूरे हॉल में लगभग 30-40 लोग ही होंगे।


अब मुझे पापा की समझदारी पर बहुत खुशी हुई थी, वो चाहते तो मुझे किसी बढ़िया पिक्चर दिखाने ले जाते, लेकिन उन्हें शायद कुछ ज़्यादा मज़े लेने थे। फिर उन्होने सबसे महेंगे टिकट लिए और फिर हम लोग बालकनी में जाकर बैठ गये। हमारा नसीब इतना बढ़िया चल रहा था की बालकनी में सिर्फ़ हमारे अलावा सिर्फ़ एक ही लड़का था, जिसकी उम्र लगभग 18 साल थी और वो भी आगे की सीट पर बैठ गया था। अब तो हम दोनों को और भी आराम हो गया था। फिर पिक्चर चालू हुई, लेकिन पिक्चर पर तो किसका ध्यान था? अब मेरा दिमाग तो पापा के लंड की तरफ था और पापा भी तिरछी नजर से मेरी छोटी-छोटी चूचीयों की तरफ देख रहे थे। अब बस शुरुआत करने की देर थी कि कौन करे? अब में तो पापा का स्पर्श पाने के लिए वैसे ही मरी जा रही थी और फिर उसी वक़्त जैसे बिल्ली के भागों छिका टूटा हो, मेरे पैर पर किसी जानवर ने काटा हो, में उउउइई करती हुई खड़ी हो गयी।


फिर तब पापा ने घबराते हुए पूछा कि क्या हुआ? तो तब मैंने बताया कि मेरे पैर पर किसी कीड़े ने काटा है। तो तब पापा बोले कि बैठ जा और अब काटे तो तुम मेरी सीट पर आ जाना। तो में बैठ गयी और फिर 5 मिनट के बाद फिर से उछलती हुई खड़ी हो गयी, लेकिन इस बार मुझे किसी ने काटा नहीं था बल्कि में जानबूझकर खड़ी हुई थी। खैर फिर पापा हंसते हुए बोले कि तू मेरी सीट पर आ जा। फिर तब में बोली कि पापा कोई बात नहीं जैसे उस कीड़े ने मुझे काटा है, ऐसे ही आपको भी काट लेगा। तो तब पापा बोले कि तू एक काम कर मेरी गोद में बैठ जा। अब में तो पहले से ही तैयार थी तो पापा के बोलते ही में उनकी गोद में बैठ गयी और पर्दे की तरफ देखने लगी थी। अब में उनकी गोद में बैठी हुई बिल्कुल छोटी सी लग रही थी, मेरी उम्र उस वक़्त 18 साल ही तो थी।


अब पापा मेरी गर्मी पाकर गर्म होने लगे थे। अब उनका लंड फिर से खड़ा होने लगा था। अब मुझे भी उनके लंड पर बैठना बहुत अच्छा लग रहा था, वैसे तो हमारी नजर पर्दे की तरफ थी, लेकिन ध्यान सिर्फ़ अपनी-अपनी टाँगो के बीच में था। अब मेरा तो बदन जैसे किसी भट्टी की तरह तप रहा था। अब मेरी स्कर्ट में मेरी चड्डी बिल्कुल गीली हो रही थी। अब पापा का लंड ठीक मेरी गांड के छेद पर था और पापा धीरे-धीरे मेरा पेट सहला रहे थे। अब मेरा मन कर रहा था कि पापा अपना लंड ज़ोर-ज़ोर से मेरी चूत पर रगड़ दे, लेकिन ऐसा नहीं हो सकता था, क्योंकि हम दोनों ही एक दूसरे से शर्मा रहे थे। खैर फिर कुछ देर तक ऐसे ही बैठे रहने के बाद मैंने अपने हाथ में पानी की बोतल थी वो नीचे गिरा दी और फिर उसको उठाने के लिए झुकी तो पापा का लंड बहाने से अपनी चूत पर सेट किया और फिर सीधी बैठकर मज़े लेने लगी। अब 1 घंटा 30 मिनट निकल गये थे और हमें पता ही नहीं चला कि कब इंटरवेल हुआ?


फिर पापा मुझे पैसे देते हुए बोले कि कैंटीन से जाकर कुछ ले आओ तो में बाहर गयी और कैंटीन से कुछ खाने की चीज़े खरीदी और फिर टॉयलेट में चली गयी और फिर जब तक वापस आई तो पिक्चर चालू हो चुकी थी। फिर मैंने पापा की गोद में बैठते हुए कहा कि पापा मुझे आपकी गोद में बैठने में ज़्यादा मज़ा आ रहा है। फिर तब पापा बोले कि तो फिर 1 मिनट रुक और बैठे हुए ही अपने लंड को सेट करने लगे थे। अब मुझे अंधेरे में कुछ नहीं दिख रहा था और फिर जब उन्होंने मुझे बैठने को कहा, तो उन्होंने अपना हाथ कुछ इस तरह से मेरी स्कर्ट पर लगाया कि मेरी स्कर्ट ऊपर हो गयी और में उनकी गोद में फिर से बैठ गयी। फिर थोड़ी देर के बाद मुझे अहसास हुआ कि पापा ने अपना लंड अपनी पेंट में से बाहर निकाल रखा है और इस अहसास के साथ ही जैसे मेरे बदन ने एक तगड़ा झटका लिया और अब मेरा भी मन अपनी चड्डी उतारकर पापा का लंड मेरी चूत से चिपकाने का करने लगा था।


फिर उसके लिए मैंने फिर से एक प्लान बनाया और मेरे हाथ में कोल्डड्रिंक का जो गिलास था, उसे अपनी जांघों पर उल्टा दिया तो सारी कोल्डड्रिंक मेरे पैरो और चड्डी पर गिर गयी, तो तब पापा चौंकते हुए बोले कि यह क्या किया? तो तब मैंने कहा कि सॉरी पापा गलती से हो गया, में तो पूरी गीली हो गयी और मेरे कपड़े भी गीले हो गये। तो तब कपड़ो का मतलब समझते हुए पापा बोले कि जा और टॉयलेट में जाकर साफ कर आ और कपड़े ज़्यादा गीले हो तो उतारकर आ जाना, जल्दी सूख जाएँगे। अब मेरा मन पापा को छोड़ने का नहीँ था, तो मैंने वहीं खड़े होकर मेरी चड्डी उतारी और दूसरी सीट पर रखी और फिर से पापा के लंड पर बैठकरपापा के लंड को अपनी दोनों टाँगों के बीच में ले लिया। अब उनका लंड बिल्कुल मेरी चूत पर था। अब मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई गर्म लोहे की रोड मेरी जांघों में दबी पड़ी है। अब तो मेरा मन कर रहा था कि जल्दी से पापा अपना लंड मेरी चूत में डालकर ज़ोर से रगड़ दे, लेकिन हम ऐसा नहीं कर सकते थे।


अब मेरी बारी थी। फिर मेरा मन अपनी चूत को उनके लंड पर रगड़ने का हुआ तो तब में अपनी चड्डी उठाने के लिए झुकी और ज़ोर से अपनी चूत पापा के लंड पर रगड़ दी और फिर ऐसे ही 3-4 बार ज़ोर से रगड़ी, तो तब मुझे ऐसा लगा कि जैसे मेरा पानी निकल जाएगा। अब में कभी किस बहाने से तो कभी किस बहाने से हिलती और अपनी चूत पापा के लंड पर रगड़ देती थी। अब पापा समझ गये थे कि मेरा मन रगड़ने का हो रहा है। तब पापा ने मेरे पेट पर अपना एक हाथ रखकर दबाया और अपना जूता खोलने के बहाने से कभी खुजाने के बहाने से अपना लंड रगड़ने लगे थे। फिर कुछ ही देर में मुझे लगा कि जैसे मेरे जिस्म में से सारा खून फटकर मेरी चूत में से निकलने वाला है और फिर इसी के साथ मेरा पानी झड़ गया। अब में बिल्कुल ठंडी हो चुकी थी, लेकिन पापा ने 2-3 बार और अपना लंड रगड़ा और फिर पापा भी जैसे अकड़ से गये और उनका भी पानी निकलकर मेरी चूत और मेरे पेट पर फैल गया।


अब हम दोनों बिल्कुल शांत थे और बहुत थक गये थे। फिर 5 मिनट के बाद ही पिक्चर ख़त्म हो गयी और लाईट जलती इससे पहले ही मैंने अपनी चड्डी यह कहते हुए पहन ली कि अब वो सूख चुकी है। अब दोनों पिक्चर ख़त्म हो चुकी थी एक जो पर्दे पर चल रही थी और एक जो हम बाप बेटी के बीच में चल रही थी। फिर थोड़ी देर के बाद लाईट जली और फिर हम दोनों हॉल से बाहर निकले। फिर बाहर आकर पापा मुस्कुराते हुए बोले कि पिक्चर कैसी लगी? तो तब मैंने जवाब दिया कि इससे बढ़िया पिक्चर मैंने आज तक नहीं देखी, तो तब पापा बोले कि मेरे साथ घूमा करेगी तो और भी बढ़िया चीज़े देखने को मिलेंगी और फिर में मस्कुराती हुई गाड़ी पर बैठ गयी और फिर हम घर की तरफ चल पड़े ।