कहानी सुनाने से पहले मैं थोरा सा बॅकग्राउंड आप सब को बता दून.ये कहानी बाप ओर बेटी की चुदाई
की कहानी है . अब आप कहानी को उस लड़की की ज़ुबानी ही सुने तो ज़्यादा अच्छा ओर ज़्यादा मज़ा आएगा
मेरी मदर की 3 साल पहले ट्रॅफिक एक्सीडेंट मैं डेत हो गई थी. उस वक़्त मैं कोई 16 साल की थी और अपने पापा की अकेली बेटी थी. हम लोग काफ़ी साल पहले हयदेराबाद से रावलपिंडी शिफ्ट हो गये थे. यहाँ पिंडी मैं सिवाइ हमारे एक दो फॅमिली फ्रेंड्स के और कोई रिश्तेदार ना था. बस हम तीनो अकेले रहते थे. मम्मी की डेत के बाद हम सिर्फ़ 2 रह गये थे.
घर के एक कमरे मैं जोकि बाहर कमर्षियल स्ट्रीट की तरफ खुलता था, पापा ने बोहट अछा जनरल स्ट्रोरे खोला हुआ था जिस से हमारी बहुत अछी इनकम होती थी. मम्मी के जाने के बाद मुझे भी तन्हाई महसूस नही होती थी. सुबा मैं स्कूल चली जाती. काम वाली सुबा घर की सफाई वगेरा कर के खाना तय्यार कर के चली जाती. स्कूल से वापसी पेर हम दोनो बाप बेटी साथ खाना खाते. मम्मी की कमी बहुत महसूस होती थी. इसी तरह एक साल गुज़र गया. और मुझे यह कभी भी एहसास ना हुआ के अगर मुहज़े मम्मी की कमी महसूस होती है तो पापा का क्या हाल होता होगा. मैं जवानी की हदों को छू रही थी. मेरी छातियाँ अछी ख़ासी निकल आई थी. अक्सर मेरी चूत मैं भी मीठी मीठी खारिश होती थी. मगर ना मैं इन सब चीज़ों का मतलब जान सकी और ना ये महसूस कर सकी कि पापा मम्मी के बाद सेक्स को कितना मिस करते होंगे.
फिर एक रात वो हुआ जिसने हम दोनो बाप बेटी की ज़िंदगी बदल दी.
जुलाइ की रात थी. बहुत शेडेड गर्मी के बाद बहुत तेज़ बेरिश हो रही थी. बादल बहुत ज़ोर ज़ोर से गरज रहे थे. मैं अपने कमरे मैं सहमी हुई सोने की कोशिश कर रही थी, मगर डर के मारे नींद नही आ रही थी. अचानक जो एक दफ़ा बदल बहुत ज़ोर से गर्जे तो मेरी चीख निकल गई और मैं बेड से उठ कर पापा के बेडरूम की तरफ भागी.
जल्दी से मैने पापा के बेडरूम का दरवाज़ा खोला और पापा के बेड के बिल्कुल सामने जा खरी हुई. सूब कुछ इतना जल्दी मैं हुआ के मैं बेडरूम का दरवाज़ा खोलते हुआी यह भी ना देख सकी के मेरे पियारे पापा उस वक़्त अपने बेड पेर बिल्कुल नंगे हो कर अपने तने हुए सख़्त लंड को अपनी मुथि मैं पकरे, मुथि को लंड पेर ऊपर नीचे कर रहे थे. मैं ने ज़िंदगी मैं पहली बार लंड को इतना बरा (बिग) देखा था. पापा को भी मोक़ा ना मिल सका के वो अपने जिस्म पेर शीट डाल लेते. उनका मुँह खुला का खुला रह गया.
मेरे भी मुँह से सिवाए इसके और कुछ ना निकल सका "सॉरी पापा, मैं डर गई थी, इस लिये जिलदी मैं डोर पेर नॉक नही कर सकी".
पापा ने इतनी देर मैं अपने ऊपेर शीट डाल ली और घबरा कर उठ कर बेड पेर बैठ गाए, और बोले: "सॉरी बेटा के तुम ने मुझे इस"तरह देख लिया
आ जाओ और यहाँ मेरे पास बैठ जाओ. जब बारिश रुक जाए तो चली जाना अपने बेडरूम मैं".
"मगर पापा ..... आप डिस्टर्ब होंगे. आप कुत्छ कर रहे थे अभी?"
लेकिन पापा ने जवाब देने की बजाए मुझे हाथ पकड़ कर अपने साथ बेड पर बिठा लिया.
"पापा आप ने कुत्छ नही पहना ... मुझे शरम आती है." यह कहते हुए मुझे खुद अपने बारे मैं एहसास हुआ के मैं ने भी गर्मी की वजह से सिर्फ़ एक थी सी, सी-थ्रू क़िसम की टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहनी हुई थी. ब्रा भी नही पहनी थी, इस लिये मेरा जिस्म भी बिल्कुल रिवील हो रहा था. टी-शर्ट भागते हुए ऊपेर हो गई ही, जिस की वजह से मेरा पेट और मेरे टिट्स साफ नज़र आ रहे थे.
एक तरफ पापा को मैं नंगा अपना लंड पकड़े देख चुकी थी, और अब वो शीट डाले बैठे थे के पीछे से उनकी कमर नीचे तक नंगी थी. और दूसरी तरफ मैं भी सेमी-नेकेड उनके ब्राबार बैठी हुई थी. मेरी साँस फूल रही थी.
मुझे उस रात पापा के बराबर बैठ कर पहली दफ़ा एहसास हुआ के मेरा जिस्म बहुत सेक्सी है. मेरे बूब्स मेरी 13 साल की एज के मुक़ाबले मैं ज़ियादा बिग और राउंड हैं और सामने को निकले हुए हैं. मेरे हिप्स बहुत राउंड, हार्ड और बल्जिंग हैं. मेरा जिस्म भरा भरा लगता है.
अचानक बारिश का शोर और ज़ियादा हो गया और साथ ही बदल एक बार फिर बहुत ज़ोर से गर्जे के मैं डर के मारे एक दम पापा से लिपट गई. इस तरह लिपटने से पापा की शीट हट गई, और पापा फिर से नंगे हो गाए. मैं कोई 10 सेकेंड यूँही लिपटी रही, टब मुझे पता चला के मैं अपने पापा के नंगे जिसम से लिपटी हुई हूँ.
मैं ने घबरा कर पापा से अलग हो ने की कोशिश की तो पापा ने मेरी कमर मैं अपना हाथ डाल कर मुझे मज़बूती से अपने नंगे जिसम के साथ जाकड़ लिया.
"जानू ऐसे ही बैठी रहो"
मैं कुत्छ ना जवाब दे सकी. मैं पापा के लेफ्ट साइड से लिपटी हुई थी. मेरा सर पापा के सीने पर था. शीट हट जाने की वजह से पापा का खरा हुआ लंड मेरे फेस से एक फीट के फ़ासले पर था. पापा ने एक बार फिर अपने लंड को राइट हॅंड की मुथि मे जाकड़ लिया और हाथ को लंड पर आहिस्ता आहिस्ता ऊपेर नीचे करने लगे.
"पापा यह आप किया कर रहें हैं?"
"आज तुम्हारी मम्मी की बोहत याद आ रही हे" पापा ने जवाब दिया.
"छी पापा, जुब मम्मी की याद आती हे तो आप ऐसे करते हैं?"
"बेटा, वो तुम्हारी मा थी, लेकिन मेरी बीवी थी, और मियाँ बीवी का रिश्ता और तरह का होता हे".
"मैं समझी नही पापा!"
"बेटी क्या तुम्हे नही पता मियाँ बीवी का क्या जिन्सी रिश्ता होता हे?" पापा ने पूछा
"नही पापा, आप बताएँ"
"अब मैं कैसे तुम्हें बताऊं के मियाँ बीवी मैं सेक्स का रिश्ता होता. और इसी रिश्ते की वजह से तुम पैदा हुईं और आज तुम मेरे साथ इस तरह बैठी हो"
"वो कैसे पापा?" मेरी समझ मैं अब भी नहीं आ रहा था.
"शादी के बाद मियाँ अपनी बीवी के साथ सेक्स करता हे, यानी अपनी बीवी तो इस लंड से उसकी चूत को चोद्ता है. चोदते हुए जुब लंड से मनी चूत मैं निकलती है तो फिर 9 मंथ बाद बच्चा पैदा होता हे".
लंड और चूत का नाम तो मैं ने कहीं सुन रखा था, मगर "चोद्ता" मैं ने पहली बार सुना था.
"पापा यह "चोदता" क्या होता हे?"
पापा की साँस आहिस्ता आहिस्ता फूल रही थी. शिवरिंग सी आवाज़ मैं वो बोले.
"अब इस से आगे मैं जो तुम्हे बताऊँगा तो उसके लिये तुम्हे भी मेरी तरह कपड़े उतार कर नंगी होना परे गा. क्या तुम तय्यार हो."
मैं पापा की बात सुन कर बुरी तरह शर्मा गई और उनकी ग्रिफ्त से निकालने की कोशिश करने लगी.
लेकिन पापा ने ज़बरदस्ती मेरी शॉर्ट्स और टी-शर्ट उतार दी और हम दोनो बाप बेटी बिल्कुल नंगा होगाए.
अब पापा ने मेरा राइट हॅंड पकड़ कर अपना लंड मेरे हाथ मैं पकड़ा दिया, और साथ ही मेरी चिकनी और हेरलेस चूत पर उंगली फेरते हुए बोले.
"यह तुम ने मेरा लंड पकड़ा हुआ है और मैं तुम्हारी चूत पर उंगली फेर रहा हूँ. तुम्हे प्यार करते हुए अगर मैं अपने इस लंड को अपनी बेटी की चूत मैं डाल कर अपने लंड को तुम्हारी चूत मैं अंदर बाहर करूँ गा तो इसका मतलूब होगा के मैं तुम्हे चोद रहा हूँ, या तुम मुझ से चुदवा रही हो, और या मैं तुम्हे चोद्ता हूँ"
मेरी चूत पर पापा की उंगली लगते ही मेरी चूत मैं करेंट सा दौर गया. पापा ने जब मेरी चूत के दाने को उंगली से छेड़ा तो मैं ने बुरी तरह से मचल कर पापा के हाथ को अपनी रानो के दरमियाँ भींच लिया. इस के साथ ही मैं ने पापा के लंड को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगी. पापा का लंड मेरी मुठ्ठी मैं किसी ज़िंदा मखलूक़ की तरह मचल रहा था. मुझे अब एहसास हो रहा था के सेक्स क्या होता हे.
"पापा लंड मेरी चूत मैं डाल कर मुझे चोद के दिखाएँ" मैं ने पापा से कहा.
"जानू तुम अभी कुँवारी हो, और मेरी सग़ी बेटी हो. पहली बात तो हमे ऐसा नहीं करना चाहिये. लेकिन एक साल से मेरा लंड किसी चूत को चोदने के लिये तड़प रहा हे. बाहर जा कर मैं रंडी को नही चोदना चाहता. अगर तुम्हारी मर्ज़ी हो तो फिर मैं अपनी बेटी को चोद कर दिखा सकता हूँ"
"पापा मैं अभी सिर्फ़ 13 साल की हूँ, लेकिन अभी अभी आप के मेरी चूत को हाथ लगाने से जो मेरी हालत हो रही है, तो मैं आप की हालत भी समझ सकती हूँ .. ... पापा चोद के दिखाएँ मुझे, ता के मुझे भी पता चले के आप मेरी मम्मी को कैसे चोद्ते थे ... और पापा मेरी शकल सूरत भी चूँके मम्मी से बोहत मिलती है, इस लिये आप को चोद्ते हुए लगे गा के आप अपनी बीवी को चोद रहें हैं..."
"उफ़ जानू ... मेरी प्यारी बेटी ... तूने तो मेरी मुश्किल आसान करदी ...", यह कहते हुए पापा ने एक दम से उठा कर मुझे अपनी गौद मैं बिठा लिया. पापा का लंड मेरी रानो के बीच मैं से बाहर को निकल कर मेरे पेट से टच कर रहा था. पापा के लंड के मुँह से चिकना चिकना लेसडार पानी निकल कर मेरे पेट पर लग रहा था.
पापा ने मुझे अपने से लिपटा कर खूब मेरे मुँह पर, मेरे होंठो पर प्यार करना शुरू किया. मेरी दोनो छातियाँ पापा ने अपने हाथों मे पकड़ कर मसलनी शुरू करदी.
मेरे पूरे जिस्म मे जैसे आग सी लग गई. मैं भी बे-इकतियार हो कर अपने पापा को उसी तरह चूमने चाटने लगी. मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रहीं थी. मेरा पूरा जिस्म शिद्दत-ए-जज़्बात से काँप रहा था. पापा ने प्यार करते करते मुझे बेड पर लिटा दिया और खुद अपना लंड हाथ मैं ले कर मेरे मुँह के ऊपेर आ गाए, और लंड की टोपी को मेरे होंठो से लगाते हुए बोले: "शहला, मेरी प्यारी सी बेटी, अपने पापा का लंड चूसो मुँह मैं ले कर. पापा के लंड से मनी निकालने वाली है, फिर इसके बाद मैं अपनी बेटी को चोदुन गा".
"पापा यह मनी क्या होती हे?"
"अभी जब तुम्हारे मुँह मैं निकले गी तो देख लेना. यह वाइट क्रीम या मलाई की तरह होती हे, और बोहट गरम और मज़ेदार होती हे. लो अब चूसो पापा का लंड."
मैं ने मुँह पूरा खोल दिया, और पापा ने अपना हड्डी की तरह सख़्त लंड मेरे मुँह मैं डाल दिया. मैं लंड मुँह मैं ले कर लंड को अपने लिप्स से दबा लिया, और पापा होले होले मेरे मुँह को चोदने लगे.
"उफ़ शहला .... जानू .... मज़ा आरहा है .... चोद रहा हूँ अपनी बेटी शहला के मुँह को. उफ़ ... .... निकलने वाली है पापा के लंड से मनी...."
और इसके बाद चंद ही लम्हे मैं पापा के लंड से एक तेज़ पिट्चकारी मेरी मुँह के अंदर निकली, और उसके बाद तो जैसे पिचकारियो की लाइन लग गई. मेरा मुँह पापा की गरम गरम मनी से भर गया. पापा की मनी मुँह से बाहर ना निकल जाइ, इस ख़याल से मैं काफ़ी मनी पी गई.
पापा घहरी घहरी साँसे ले रहे थे और उनका लॉरा मेरे मुँह मैं ढीला परता जा रहा था.
पापा ने आख़िर अपना लंड मेरे मुँह से बाहर निकाल लिया. मुझे पापा का लंड देख कर हँसी आ गई के वो अब बिकुल सुकर कर लुल्ली बन गया था. हंस ने की वजह से पापा की बाक़ी मनी मेरे मुँह से बाहर निकल कर मेरी छातियों पर बहने लगी.
गाढ़ी गाढ़ी, सुफैद क्रीम जैसी लेसडार मनी. मनी मैं से एक अजीब सी खट्टी मीठी खुश्बू उठ रही थी (जैसे आटा गूंधने के बाद आती हे).
"देखी अपने पापा की मनी? ऐसी होती है मनी. यह मनी जब लर्की या औरत की चूत के अंदर निकलती हे तो उस से औरत के पेट मैं बच्चा ठहर जाता है."
मैं इतनी ज़ियादा गरम हो चुकी थी के मैं ने पापा की मनी अपनी टिट्स पर मल्नि शुरू करदी.
"बेटी मैं अब तुम्हारी चूत को चाटून गा ता के तुम्हारी नन्ही मुन्नी चूत पापा के मोटे सख़्त लंड को अंदर लेने के लिये तय्यार हो जाए."
आज मैं अपने प्यारे पापा से जो कुत्छ भी चुदवाने के नाम पर करवाने जा रही थी, यह मेरी ज़िंदगी का सब से अनोखा तजर्बा था. आअज से पहले मैं अपनी चूत को सिर्फ़ पेशाब करने की जगह समझती थी. मुझे आज पहली बार पता चला के चूत मैं ऐसी खारिश भी होती हे जो सिर्फ़ लंड से मिट ती हे. मुझे आज और अभी पता चला के चूत को चाट ते भी हैं.
पापा अब खुद सीधे हो कर लेट गए और मुझे अपने ऊपेर आने को कहा. मैं पापा के ऊपेर इस तरह लेटी के मेरी चूत पापा के मुँह पर थी और पापा का दोबारा से खरा होता हुआ लंड मेरे होंठो के एन सामने था.
पापा ने पीछे से मेरी दोनो रानो को हाथ डाल कर खोलते हुए मेरी चूत को अपनी ज़बान से चाटना शुरू किया. पापा की ज़बान मेरी चूत मैं लगने की देर थी के मेरे सारे जिस्म मैं करेंट सा दौड़ने लगा. ऐसा ही करेंट जैसा बिजली के लाइव तार को छूने से होता हे. पापा की ज़बान मेरी चिकनी चिकनी नन्ही मुन्नी चूत के पंखों के बीच मैं घूम रही थ्री. कभी पापा मेरी चूत के दाने पर ज़बान फेरते, और मैं बुरी तरह से मचल जाती. फिर पापा उस जगह ज़बान फेरते जहाँ से मेरी पी निकलती हे. पी की जगह पेर ज़बान लगते ही मुझे अभी ज़ोर से पी आनी होने लगती के पापा एक दम मेरी चूत के चोदने वाले छेद मैं ज़बान डाल कर चाटना शुरू कर देते.
इधर मेरी आँखों के बिल्कुल सामने पापा का पूरी तरह तना हुआ लंड था. मैं इतने क़रीब से पापा के लंड को पहली दफ़ा देख रही थी और सोच रही थी के यही वो लंड है जिसने मम्मी को चोदा और उसकी वजह से मैं पैदा हुई, और आज खुद अपने बाप के ऊपेर लेट कर उसके लंड को सामने देख रही हूँ, हाथ मैं पकड़ रही हूँ और चूस रही हूँ, और पापा अपनी ही सग़ी बेटी की चूत को चाट और चूस रहे हैं.
"अब इस से आगे मैं जो तुम्हे बताऊँगा तो उसके लिये तुम्हे भी मेरी तरह कपड़े उतार कर नंगी होना परे गा. क्या तुम तय्यार हो."
मैं पापा की बात सुन कर बुरी तरह शर्मा गई और उनकी ग्रिफ्त से निकालने की कोशिश करने लगी.
लेकिन पापा ने ज़बरदस्ती मेरी शॉर्ट्स और टी-शर्ट उतार दी और हम दोनो बाप बेटी बिल्कुल नंगा होगाए.
अब पापा ने मेरा राइट हॅंड पकड़ कर अपना लंड मेरे हाथ मैं पकड़ा दिया, और साथ ही मेरी चिकनी और हेरलेस चूत पर उंगली फेरते हुए बोले.
"यह तुम ने मेरा लंड पकड़ा हुआ है और मैं तुम्हारी चूत पर उंगली फेर रहा हूँ. तुम्हे प्यार करते हुए अगर मैं अपने इस लंड को अपनी बेटी की चूत मैं डाल कर अपने लंड को तुम्हारी चूत मैं अंदर बाहर करूँ गा तो इसका मतलूब होगा के मैं तुम्हे चोद रहा हूँ, या तुम मुझ से चुदवा रही हो, और या मैं तुम्हे चोद्ता हूँ"
मेरी चूत पर पापा की उंगली लगते ही मेरी चूत मैं करेंट सा दौर गया. पापा ने जब मेरी चूत के दाने को उंगली से छेड़ा तो मैं ने बुरी तरह से मचल कर पापा के हाथ को अपनी रानो के दरमियाँ भींच लिया. इस के साथ ही मैं ने पापा के लंड को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगी. पापा का लंड मेरी मुठ्ठी मैं किसी ज़िंदा मखलूक़ की तरह मचल रहा था. मुझे अब एहसास हो रहा था के सेक्स क्या होता हे.
"पापा लंड मेरी चूत मैं डाल कर मुझे चोद के दिखाएँ" मैं ने पापा से कहा.
"जानू तुम अभी कुँवारी हो, और मेरी सग़ी बेटी हो. पहली बात तो हमे ऐसा नहीं करना चाहिये. लेकिन एक साल से मेरा लंड किसी चूत को चोदने के लिये तड़प रहा हे. बाहर जा कर मैं रंडी को नही चोदना चाहता. अगर तुम्हारी मर्ज़ी हो तो फिर मैं अपनी बेटी को चोद कर दिखा सकता हूँ"
"पापा मैं अभी सिर्फ़ 13 साल की हूँ, लेकिन अभी अभी आप के मेरी चूत को हाथ लगाने से जो मेरी हालत हो रही है, तो मैं आप की हालत भी समझ सकती हूँ .. ... पापा चोद के दिखाएँ मुझे, ता के मुझे भी पता चले के आप मेरी मम्मी को कैसे चोद्ते थे ... और पापा मेरी शकल सूरत भी चूँके मम्मी से बोहत मिलती है, इस लिये आप को चोद्ते हुए लगे गा के आप अपनी बीवी को चोद रहें हैं..."
"उफ़ जानू ... मेरी प्यारी बेटी ... तूने तो मेरी मुश्किल आसान करदी ...", यह कहते हुए पापा ने एक दम से उठा कर मुझे अपनी गौद मैं बिठा लिया. पापा का लंड मेरी रानो के बीच मैं से बाहर को निकल कर मेरे पेट से टच कर रहा था. पापा के लंड के मुँह से चिकना चिकना लेसडार पानी निकल कर मेरे पेट पर लग रहा था.
पापा ने मुझे अपने से लिपटा कर खूब मेरे मुँह पर, मेरे होंठो पर प्यार करना शुरू किया. मेरी दोनो छातियाँ पापा ने अपने हाथों मे पकड़ कर मसलनी शुरू करदी.
मेरे पूरे जिस्म मे जैसे आग सी लग गई. मैं भी बे-इकतियार हो कर अपने पापा को उसी तरह चूमने चाटने लगी. मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रहीं थी. मेरा पूरा जिस्म शिद्दत-ए-जज़्बात से काँप रहा था. पापा ने प्यार करते करते मुझे बेड पर लिटा दिया और खुद अपना लंड हाथ मैं ले कर मेरे मुँह के ऊपेर आ गाए, और लंड की टोपी को मेरे होंठो से लगाते हुए बोले: "शहला, मेरी प्यारी सी बेटी, अपने पापा का लंड चूसो मुँह मैं ले कर. पापा के लंड से मनी निकालने वाली है, फिर इसके बाद मैं अपनी बेटी को चोदुन गा".
"पापा यह मनी क्या होती हे?"
"अभी जब तुम्हारे मुँह मैं निकले गी तो देख लेना. यह वाइट क्रीम या मलाई की तरह होती हे, और बोहट गरम और मज़ेदार होती हे. लो अब चूसो पापा का लंड."
मैं ने मुँह पूरा खोल दिया, और पापा ने अपना हड्डी की तरह सख़्त लंड मेरे मुँह मैं डाल दिया. मैं लंड मुँह मैं ले कर लंड को अपने लिप्स से दबा लिया, और पापा होले होले मेरे मुँह को चोदने लगे.
"उफ़ शहला .... जानू .... मज़ा आरहा है .... चोद रहा हूँ अपनी बेटी शहला के मुँह को. उफ़ ... .... निकलने वाली है पापा के लंड से मनी...."
और इसके बाद चंद ही लम्हे मैं पापा के लंड से एक तेज़ पिट्चकारी मेरी मुँह के अंदर निकली, और उसके बाद तो जैसे पिचकारियो की लाइन लग गई. मेरा मुँह पापा की गरम गरम मनी से भर गया. पापा की मनी मुँह से बाहर ना निकल जाइ, इस ख़याल से मैं काफ़ी मनी पी गई.
पापा घहरी घहरी साँसे ले रहे थे और उनका लॉरा मेरे मुँह मैं ढीला परता जा रहा था.
पापा ने आख़िर अपना लंड मेरे मुँह से बाहर निकाल लिया. मुझे पापा का लंड देख कर हँसी आ गई के वो अब बिकुल सुकर कर लुल्ली बन गया था. हंस ने की वजह से पापा की बाक़ी मनी मेरे मुँह से बाहर निकल कर मेरी छातियों पर बहने लगी.
गाढ़ी गाढ़ी, सुफैद क्रीम जैसी लेसडार मनी. मनी मैं से एक अजीब सी खट्टी मीठी खुश्बू उठ रही थी (जैसे आटा गूंधने के बाद आती हे).
"देखी अपने पापा की मनी? ऐसी होती है मनी. यह मनी जब लर्की या औरत की चूत के अंदर निकलती हे तो उस से औरत के पेट मैं बच्चा ठहर जाता है."
मैं इतनी ज़ियादा गरम हो चुकी थी के मैं ने पापा की मनी अपनी टिट्स पर मल्नि शुरू करदी.
"बेटी मैं अब तुम्हारी चूत को चाटून गा ता के तुम्हारी नन्ही मुन्नी चूत पापा के मोटे सख़्त लंड को अंदर लेने के लिये तय्यार हो जाए."
आज मैं अपने प्यारे पापा से जो कुत्छ भी चुदवाने के नाम पर करवाने जा रही थी, यह मेरी ज़िंदगी का सब से अनोखा तजर्बा था. आअज से पहले मैं अपनी चूत को सिर्फ़ पेशाब करने की जगह समझती थी. मुझे आज पहली बार पता चला के चूत मैं ऐसी खारिश भी होती हे जो सिर्फ़ लंड से मिट ती हे. मुझे आज और अभी पता चला के चूत को चाट ते भी हैं.
पापा अब खुद सीधे हो कर लेट गए और मुझे अपने ऊपेर आने को कहा. मैं पापा के ऊपेर इस तरह लेटी के मेरी चूत पापा के मुँह पर थी और पापा का दोबारा से खरा होता हुआ लंड मेरे होंठो के एन सामने था.
पापा ने पीछे से मेरी दोनो रानो को हाथ डाल कर खोलते हुए मेरी चूत को अपनी ज़बान से चाटना शुरू किया. पापा की ज़बान मेरी चूत मैं लगने की देर थी के मेरे सारे जिस्म मैं करेंट सा दौड़ने लगा. ऐसा ही करेंट जैसा बिजली के लाइव तार को छूने से होता हे. पापा की ज़बान मेरी चिकनी चिकनी नन्ही मुन्नी चूत के पंखों के बीच मैं घूम रही थ्री. कभी पापा मेरी चूत के दाने पर ज़बान फेरते, और मैं बुरी तरह से मचल जाती. फिर पापा उस जगह ज़बान फेरते जहाँ से मेरी पी निकलती हे. पी की जगह पेर ज़बान लगते ही मुझे अभी ज़ोर से पी आनी होने लगती के पापा एक दम मेरी चूत के चोदने वाले छेद मैं ज़बान डाल कर चाटना शुरू कर देते.
इधर मेरी आँखों के बिल्कुल सामने पापा का पूरी तरह तना हुआ लंड था. मैं इतने क़रीब से पापा के लंड को पहली दफ़ा देख रही थी और सोच रही थी के यही वो लंड है जिसने मम्मी को चोदा और उसकी वजह से मैं पैदा हुई, और आज खुद अपने बाप के ऊपेर लेट कर उसके लंड को सामने देख रही हूँ, हाथ मैं पकड़ रही हूँ और चूस रही हूँ, और पापा अपनी ही सग़ी बेटी की चूत को चाट और चूस रहे हैं.
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